आगरा - आंबेडकर विवि के
चर्चित बीएड 2005 फर्जीवाड़े में विवि की लेटलतीफी सरकारी खजाने
पर भारी पड़ रही है। एसआइटी की जांच में चिह्नित 4570 फर्जी शिक्षकों
की डिग्री निरस्त करने में हो रही देरी से हर महीने वेतन के रूप में 18
करोड़ रुपये भुगतान करना पड़ रहा है।
विवि की बीएड 2005 की फर्जी मार्क्सशीट
के जरिए हजारों लोगों ने शिक्षा विभाग में सरकारी नौकरी प्राप्त कर ली है। फर्जी
डिग्री का प्रकरण खुलने पर हाईकोर्ट के आदेश पर विशेष जांच दल (एसआइटी) ने जांच
की। जांच में विवि के कर्मचारियों द्वारा बीएड के चार्ट में नंबर जेनरेट कर फर्जी
मार्क्सशीट बना दी है। एसआइटी ने जांच कर ऐसे 4570 लोग चिह्नित
किए जिनकी मार्क्सशीट फर्जी थी। यह लोग बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक पद पर
नौकरी कर रहे हैं। एसआइटी ने इनकी सीडी बनाकर हाईकोर्ट में दाखिल की।
शासन ने
फर्जी शिक्षकों को 10 महीने पहले बर्खास्त करने के निर्देश दिए थे।
कई जिलों में एसआइटी की सीडी से फर्जी शिक्षकों को चिह्नित कर कार्रवाई भी की गई।
मगर, इन्होंने विवि द्वारा मार्क्सशीट फर्जी घोषित न करने की बात कहते
हुए हाईकोर्ट से स्टे प्राप्त कर लिया। इसके बाद इन फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई के
लिए विवि को इनकी मार्क्सशीट निरस्त करनी थी।
10 महीने में अब शुरू हुई जांच
फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त करने कार्रवाई को 10
महीने हो गए हैं। इससे पहले ही एसआइटी विवि को फर्जी शिक्षकों की नाम की सूची दे
चुकी थी। मगर, विवि की ओर से मामले को ठंड बस्ते में डाल दिया
गया। पिछले दिनों हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करने को लेकर विवि की ओर से इस मामले
में जांच शुरू की गई है। 2005 में बीएड कराने वाले कॉलेजों से
छात्रों के नाम मांगे गए हैं। अभी भी केवल 40 कॉलेजों ने
रिपोर्ट दी है। विवि की लेटलतीफी के चलते ही सरकार को हर महीने फर्जी शिक्षकों को
वेतन देना पड़ रहा है।
पिछले 10 महीने में 1.82
अरब
का भुगतान
विवि द्वारा फर्जी शिक्षकों की मार्क्सशीट
निरस्त करने में हो रही देरी के चलते पिछले 10 महीने में 4570
फर्जी शिक्षकों को वेतन के रूप में 1.82 अरब रुपये का भुगतान किया जा चुका है।
हर महीने शासन द्वारा औसतन 40 हजार रुपये के हिसाब से 18.28
करोड़ रुपये भुगतान किया जा रहा है। अगर, विवि जल्द जांच करा दे तो बर्खास्तगी
की कार्रवाई हो सके।
एसआइटी ने किया था तेजी लाने का अनुरोध
विवि द्वारा मार्क्सशीट निरस्तीकरण में धीमी
जांच में तेजी लाने के लिए एसआइटी ने कुलपति से मुलाकात की थी। उन्होंने जल्द जांच
पूरी करने का अनुरोध किया था। कुलपति ने उन्हें जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया था।
रिकवरी में होगी मुश्किल
फर्जी शिक्षकों से वेतन के रूप में ली गई
धनराशि को रिकवरी का प्रावधान है, लेकिन इस प्रक्रिया में लंबा समय
लगेगा। वहीं, दिक्कतें भी आएगी।
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