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संगम तट पर 100 फीट ऊंचाई पर जल रही है श्रीराम नाम की अखंड ज्योति

संगम तट पर स्थित देवरहा बाबा तपोस्थली पर श्रीराम नाम की ज्योति कई वर्षों से लगातार जल रही है। चाहे भीषण बाढ़ हो या रेतिला मैदान इस अखंड ज्योति की लौ आज तक कम नहीं हुई है। शास्त्री पुल से गुजरने वाले लोग इसका दर्शन करते हुए जाते हैं। साथ ही माघ मेले में पहुंचने वाले भक्त भी इसके दर्शन के लिए पहुंचते हैं। 

आश्रम के पीठाधीश्वर चाहे गर्मी हो या बरसात या फिर बाढ़ की स्थिति व अमर ज्योति को कभी बुझने नहीं देते। लगभग 100 फीट की ऊंचाई पर इस अमर ज्योति के लिए विशेष मंच भी बनाया गया है जिसमें स्थिति अमर ज्योति निरंतर कई सालों से जलती आ रही है। देवराहा बाबा आश्रम की तरफ से इसकी स्थापना की गई थी जो आज तक निरंतर अविरल रूप से जल रही है।

सुबह शाम इस आश्रम से जुड़े पुजारी राम दास नाव में बैठकर इस अमर ज्योति की आरती करने को आते हैं। साथ ही सुबह शाम इसमें शुद्ध देसी घी भी डाला जाता है, ताकि यह ज्योति निरंतर चलती रहे। मचान वाले बाबा रामदास कहते हैं कि रामनाम की यह अखंड ज्योति मानवता की रक्षा और सामाजिक हित के लिए प्रज्ज्वलित की गई थी जो आज भी जल रही है।

मचान वाले बाबा करते हैं देखरेख

संगम में हर वर्ष माघ मेला और 6 वर्ष पर अर्ध कुंभ 12 वर्ष पर महाकुंभ लगता है। एक महीने से अधिक चलने वाले मेले में पूरा तंबुओं का शहर बसता है। इस मेले में कई साधु संतों के पंडाल लगने वाले मेले में आकर्षण का केंद्र होते हैं। इन्हीं बाबाओं के बीच में प्रयागराज झूंसी पुल के पास मचान वाले बाबा का आश्रम है। बाबा को मचान वाले बाबा भी कहा जाता है। बाबा ने अपनी मचान को तकरीबन डेढ़ मंजिला मकान की बराबर बांस के सहारे मचान बनवाया है। जब बाढ़ बहुत विकराल रूप ले लेती है तो मचान वाले बाबा कुटिया को छोड़कर गंगा के किनारे आश्रम में चले जाते हैं और हर दिन अखंड ज्योति को देखने के लिए नाव से पहुंचते हैं। 

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