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दो दोस्तों की दुश्मनी का शिकार बना पीएनबी

गाजियाबाद - गाजियाबाद पीएनबी घोटाला अब किसी से छुपा हुआ नहीं है, किस तरह लोन माफिया ने बैंक को अपना शिकार बनाया लेकिन इस कांड का एक और पहलू है मामले की शुरूआत होती है 2019 में जब बैंक में इंटरनल ऑडिट किया जाता है, जिसमें पता चलता है कि कई लोन खाते NPA हो चुके हैं

जिसके बाद बैंक ने नोटिस भेजने का सिलसिला शुरू किया, मई 2019 में एक शिकायतकर्ता सुखपाल सिंह यादव अचानक पीएनबी बैंक में पहुंचकर ये बताता है की उसके संपत्ती के एवज में फर्जी लोन लिया गया है, 

आपको बता दें की सुखपाल सिंह यादव के संपत्ती के एवज में मेसर्स साई उद्योग को 4 करोंड का लोन आवंटन किया गया था लेकिन सुखपाल बैंक को ये जानकारी देता है की उसके संपत्ती के कागजात चोरी हो गया था और चोर ने फर्जी लोन करवा लिया, संपत्ती को निलाम होने से बचाने के लिए सिखपाल ने सितंबर 2019 में थाने में एफआईआर दर्ज कराता है, जिसमें ये शिकायत करता है कि उसने अपने संपत्ती के मूल जस्तावेज को 4-5 साल पहले लोन माफिया लक्ष्य तवंर को दिया था, उसका आरोप है कि लक्ष्य तवंर ने बैंक मैनेजर से मिलीभगत कर उस कागजात के एवज में 4 करोड़ का लोन करा लिया है, अब यहां सोचने वाली बात यह है कि क्या कोई भी इंसान अपनी संपत्ती का मूल दस्तावेज किसी को दे सकता है ? दूसरी तरफ बैंक दिए गए जानकारी और एफआईआऱ में मतांतर देखा जा सकता है

एफआईआर में सुखपाल ने 6 लोगों को अभियुक्त बनाया था, मामला हाईकोर्ट तक पहुंचता है तो एक नई बात सामने आती है, कि शिकायतकर्ता सुखपाल सिंह यादव ने लोन माफिया लक्ष्य तवंर से 50 लाख रूपया लिए थे,  जिसका चर्चा माननीय हाईकोर्ट के एक फैसले में किया गया है, आपको बता दें की हाईकोर्ट के फैसले का डाक्यूमेंटस भी मौजूद है

सुत्रों की माने तो यह जानकारी ङी आ रही है कि, जो सुखपाल और लक्ष्य तवंर आज एक दूसरे के जानी दूश्मन बने हैं,  कभी दोनों के बीच पारिवारिक संबंध थे, जब लोन नहीं चुका पाने कारण लोन एकाउंट एनपीए होता है तब बैंक द्वारा नोटिस किया जाता है, जिसके बाद सुखपाल अपनी संपत्ती बचाने के लिए बैंक पर लापरवाही का आरोप मढ़ देता है

सवाल ये उठता है कि अगर सुखपाल के संपत्ती का मूल दस्ताबेज खो जाता है, तो क्या इसकी शिकायत थाने में की गई थी अगर सुखपाल अपनी संपत्ती को बेचने के लिए मूल दस्ताबेज लोन माफिया लक्ष्य तवंर को देता है तो फिर बैंक में गलत जानकारी उनके द्वारा क्यों दी गयी

सवाल ये भी उठ रहा है कि अगर सुखपाल का इस लोन घोटाले से कोई सरोकार नहीं तो फिर वो लक्ष्य तवंर से क्यों 50 लाख रूपया लेता है, जिसकी चर्चा माननीय हाईकोर्ट के एक फैसले में लिखित है

पीएनबी लोन घोटाले की जांच एसआईटी कर रही है, मामला कोर्ट में विचाराधीन है, 

लेकिन सवाल उठता है कि क्या शिकायतकर्ता ही लोन घोटाले में राजदार है

सवाल ये भी हैं कि कहीं सुखपाल अपनी संपत्ती निलाम होने से बचाने के लिए तो बैंक पर दोष नहीं मढ़ रहा, 

लेकिन इस लोन कांड के और भी कई पहलू है, 
  • 400 करोड़ रुपये के लोन घोटाले के मुख्य आरोपित लक्ष्य तंवर की सहयोगी पीएनबी की बर्खास्त लोन मैनेजर प्रियदर्शनी को गाजियाबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में प्रियदर्शिनी पुलिस गिरफ्त में आने वाली बैंक की पहली अधिकारी है। प्रियदर्शिनी पर लोन माफिया लक्ष्य तंवर से साठगांठ कर पीएनबी बैंक को करोड़ों रुपये का चूना लगाने का आरोप है।
प्रधान संपादक उदय सिंह यादव से बातचीत में लोन घोटाले में गठित एसआइटी में जांच कर रहे सदस्य उपनिरीक्षक श्री निवास यादव का कहना है कि कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनकी कोर्ट से रिमांड मंजूर हो चुकी है। अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी के प्रयास भी किए जा रहे हैं। जो सच होगा बो जल्दी सबके सामने आएगा 

INA NEWS DESK

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