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शारीरिक सम्बन्धों के प्रति पति-पत्नी दोनों में यौन उदासीनता

INA NEWS DESK

शारीरिक सम्बन्धों के प्रति पति-पत्नी दोनों अथवा दोनों में से एक सामान्य बताव नहीं करें तो यह स्थिति चिन्ताजनक हो सकती है। वर्तमान सामाजिक परिवेश में यौन उदासीनता के मामलों में वृद्धि देखने को मिल रही है। चिन्ता, परेशानी, मानवीय व पारिवारिक रिश्तों में कमजोरी, भौतिकतावादी जीवन की लालसा आदि अनेक ऐसे कारण
हैं जो यौन सम्बन्धों को प्रभावित कर रहे हैं।

पति पत्नी के बीच बढ़ रही है दूरियाँ 

शारीरिक सम्बन्धों के प्रति पति-पत्नी दोनों अथवा दोनों में से एक सामान्य बताव नहीं करें तो यह स्थिति चिन्ताजनक हो सकती है। वर्तमान सामाजिक परिवेश में यौन उदासीनता के मामलों में वृद्धि देखने को मिल रही है। चिन्ता, परेशानी, मानवीय व पारिवारिक रिश्तों में कमजोरी, भौतिकतावादी जीवन की लालसा आदि अनेक ऐसे कारण हैं जो यौन सम्बन्धों को प्रभावित कर रहे हैं।

पति पत्नी के रिश्ते की समस्याओं का कारण :

वैवाहिक सम्बन्धों में स्थितियां उस समय काबू से बाहर होने लगती हैं, जब हम समय की कमी के कारण अपने साथी को समय नहीं दे पाते, परिणाम उस समय उग्र से दूर स्वरूप धारण करने लगते हैं जब बेडरूम में शारीरिक सम्बन्धों को आवश्यकता मात्र समझकर पूरा करने की कोशिश की जाने लगती है। ऐसे हालात में कार्यस्थल से लौटे पति या पत्नी के पास एक-दूसरे को आलिंगन में लेकर कुछ वक्त गुजारने की इच्छा भी नहीं होती।

 पति पत्नी और शक : 
पति अपनी पत्नी को शारीरिक सम्बन्धों को पूर्ण करने की आवश्यकता समझकर इन सम्बन्धों को किसी तरह पूरा कर सो जाता है। या पत्नी इन सम्बन्धों को बोझ मात्र समझकर किसी तरह पूरा करने की कोशिश करती है। इन हालात में जो परिस्थितियां निर्मित होती हैं, उनकी कल्पना असहनीय और दयनीय होती है। ऐसे हालात का परिणाम एक-दूसरे के प्रति शक के रूप में भी सामने आ सकता है। शक के कारण प्यार के गुलशन (बगीचा) में ज़हर घोलने लगता है। पति-पत्नी में आपसी समझ खत्म होने लगती है। परिवार में शीत युद्ध जैसी परिस्थितियां निर्मित होने लगती हैं।

पति पत्नी का वैवाहिक संबंध :

वैवाहिक जीवन की मला आपसी समझ, प्यार और भरोसे के मोतियों से गुंथी होती है, इनमें से किसी एक मोती की चमक कम या हल्की होने का प्रभाव परिवार और पति-पत्नी के आपसी सम्बन्धों पर पड़ना तय है, जब यह प्रभाव वैवाहिक व यौन सम्बन्धों पर होने लगता है तो वैवाहिक रिश्तों की प्यार की ईटों से बना महल गिरने (दरकने) लगता है।

धन की चाहत के इस भौतिकतावादी युग में मनुष्य सभी तरह की परेशानियों, उलझनों, सामाजिक, पारिवारिक एवं कार्यस्थल आदि की जिम्मेदारियों से घिरा रहता है। जिम्मेदारियों से भरी इस तेज रफ्तार जिन्दगी में एकांत के कुछ पल ऐसे भी होने चाहिये, जो एकदम अपने हों, सिर्फ और सिर्फ अपने जीवनसाथी के लिये। इन पलों का हर पल एक-दूसरे के लिये समर्पित होना चाहिये, समर्पण ऐसा कि अपने साथी के अलावा कुछ भी याद न रहे। एक-दूसरे के प्रति इतना रोमांच और लगाव होना चाहिये कि इन पलों के गुजरने के बाद, आने वाला हर समय ऐसे पलों को और ज्यादा रोमांच के साथ गुजारने के लिये प्रेरित करता रहे ।

विवाह का मतलब अपने प्यार के साथ हमेशा भावनात्मक एवं शारीरिक लगाव का अहसास बनाये रखना भी होता है, अपने जीवनसाथी के प्रति इस लगाव, प्यार और समर्पण का हमेशा अहसास करवाते रहना जरूरी है।

प्रेगनेंसी में मौसंबी के फायदे:

पति-पत्नी दोनों की जिम्मेदारी बनती है कि अपने जीवनसाथी के सामने खुद को स्वच्छ वस्त्रों, मेकअप आदि के साथ प्यार भरे माहौल में प्रस्तुत करें। जिन्दगी को भरपूर जिये, ऐसे जैसा जिन्दगी का हक है।

पति या नौकरी पेशा पत्नी के ऑफिस  से घर आने पर ऐसा अहसास दीजिये जिससे उसको लगे कि कोई ऐसा है जो केवल और केवल उसका शिद्दत और बेसब्री से इन्तजार करता है। यह अहसास घर की बगिया को हमेशा ताज़गी प्रदान करता रहेगा। घर में एक-दूसरे का अच्छे माहौल में व्यवस्थित घर परिवार के साथ एक-दूसरे का स्वागत कीजिये, अपने जीवनसाथी को अपना समय दीजिये, जब वह ऑफिस से लौटे। ऐसे हालत जीवन व और वैवाहिक सम्बन्धों को रूमानी बनाये रखेंगे। 

एक-दूसरे के पारिवारिक सदस्यों व मित्रों को सम्मान दीजिये, आपके द्वारा दिया गया यह सम्मान जीवनसाथी की नज़र में आपका मान-सम्मान एवं प्यार को बढ़ा देगा। जब मान-सम्मान एवं प्यार बढ़ेगा तो सब कुछ पाना आसान है। 

ऐसे हालत और माहौल में शयनकक्ष की जिन्दगी प्यार से महक उठेगी। ऐसी मादक और मदहोश करने वाली महक और प्यार तट जिसकी मादकता जिसे शब्दों में ढालना असम्भव है। जीवनसाथी के प्यार में खुद को डुबो देना, वैवाहिक जिन्दगी को खुशियों से भर देता है। ऐसी स्थिति में एक-दूसरे को पा लेने का अहसास जिन्दगी के हर क्षण को खुशियों से भर देगा।

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