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फाइनल रिपोर्ट लगाने में अव्वल निलंबित दारोगा पर अपराधियों का सरंक्षण

रिपोर्ट - वागीश कुमार उत्तर प्रदेश

सुल्तानपुर - कोतवाली देहात के निलंबित दरोगा फाइनल रिपोर्ट लगाने में मंझा खिलाड़ी है। यह बात अलग है कि इस बार उसके कारनामों की जानकारी आईजी जोन को हो गई और फौरी जांच में वह दोषी पाए गए ।

जिस पर तेजतर्रार एसपी हिमांशु कुमार को निलंबन का चाबुक चलाना पड़ा । वह जहां-जहां भी तैनात रहा मुकदमों को कोर्ट से पहले ही गला घोटने में माहिर था ।शहर के शास्त्रीनगर में तो उसने खूब फाइनल रिपोर्ट लगाई शाहगंज चौकी के आवासीय कमरे में ही बैठकर घटना की लोकेशन का कलम लेकर खाका खींचा और पीड़ित के सामने ही पटरी लगाकर मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा देता था।

इतना ही नहीं गोसाईगंज के द्वारिकागंज चौकी प्रभारी जब वह रहा तो कई मामलों को तो वह मगरमच्छ की तरह डकार गया था । कहना अतिश्योक्ति नही होगा कि यदि इस उपनिरीक्षक के कारनामों की गंभीरतापूर्वक जांच कराई जाए तो इसके कारनामो की पोल खुल सकती है । हालांकि फाइनल रिपोर्ट लगाने वाले जिले में कई उपनिरीक्षक और इंस्पेक्टर हैं जो विपक्षियों से सांठगांठ करके सत्य का गला घोटने में उन्हें महारत हासिल है । मसलन लंभुआ से गैर जनपद गए स्मैकियों के खास दरोगा का अपराधियों से खूब याराना था ।

वह इनके कूपन पर दबिश के बहाने महानगरों के 3-स्टार होटल में कई दिन ऐश करके आते थे।गैर जिला गया यह दारोगा  पीने की आदत के चलते अपनी तैनाती फिर से शहर की चर्चित चौकी पर नही करवा पाया।वह तैनात तो ग्रामीण क्षेत्र में था लेकिन शहर में एक आलीशान होटल में स्थाई रूम भी एलॉट करवा रखा था।

जहां वातानुकलित कमरे में जाम छलकाया करता था। उसे कई बार तो निलंबित होना पड़ा था।करीबी बतातें हैं कि इसी राफ्ता - रंगीन जिंदगी जीने के आदी इस दारोगा को जितना दर्द गैर जनपद जाने से हुआ उतना यहां निलंबित होकर भी नही हुआ था। इधर बात विवेचनाओं की करें तो चार्जशीट के कई मामलों में  पुलिस को भरे कोर्ट में मुख की खानी पड़ी है। फजीहत हुई तो पुनः विवेचना के आदेश भी हुए।

INA NEWS DESK

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