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अमेरिकी का शव लेने गई पुलिस रही असफल

पोर्ट ब्‍लेयर - अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के उत्‍तरी सेंटीनल में मारे गए अमेरिकी धर्म प्रचारक जॉन एलन का शव अभी तक बरामद नहीं किया जा सका है। पुलिस की एक टीम ने रविवार को शव बरामद करने की कोशिश की थी, लेकिन इसमें वो कामयाब ना हो सकी। दरअसल, पुलिस जब उत्‍तरी सेंटीनल द्वीप के नजदीक पहुंची, तो उन्‍होंने पाया कि जनजाति के लोग हाथ में तीर कमान लिए किनारे पर ही खड़े थे। जॉन के साथ गए स्‍थानीय मछुआरों ने यहीं जॉन का शव देखा था।



अंडमान - निकोबार पुलिस की एक टीम नाव के जरिए शनिवार को उत्‍तरी सेंटीनल द्वीप गई, लेकिन उन्‍हें तट पर आदिवासी समुदाय के लोग हथियारों से लैस नजर आए। इस बात की जानकारी क्षेत्र के पुलिस प्रमुख दीपेंद्र पाठक ने दी। उन्‍होंने बताया कि तट से 400 मीटर पहले अधिकारियों ने दूरबीन की सहायता से देखा कि तीर-कमान लिए हुए लोग वहां घूम रहे थे। आदिवासियों ने तीर के जरिए ही अमेरिकी नागरिक जॉन एलन की ह‍त्‍या की थी।

दीपेंद्र पाठक ने बताया, 'आदिवासियों की नजर पुलिस की नाव पर ही थी। हमारी टीम भी उनकी ओर नजर बनाए हुए थी। ऐसे में किसी भी तरह के टकराव से बचने के लिए नाव को वापस घुमा लिया गया। सेंटीनल लोगों में किसी भी तरह का डर न फैले इसके लिए पुलिस सोच समझकर कदम उठा रही है। हम किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचना चाहते हैं।

बता दें कि सेंटीनल आदिवासी लोग सालों से दुनिया से अलग-थलग रहती है। यह समुदाय दुनिया के सबसे संरक्षित समुदायों में शामिल है। इसकी भाषा और रीतिरिवाज बाहरी लोगों के लिए एक रहस्‍य है। जो मछुआरे जॉन एलन को उत्‍तरी सेंटीनल लेकर गए थे उनका कहना है कि उन्‍होंने आदिवासियों को शव को तट पर ही दफनाते हुए देखा था। उत्‍तरी सेंटीनल अंडमान-निकोबार के बहुत सारे द्वीपों में से एक द्वीप है।

कुछ ऐसा रहा घटनाक्रम

1- अमेरिकी नागरिक जॉन एलन की हत्या के बाद मछुआरों ने पुलिस को बताया कि वे 14 नवंबर को सेंटिनेलिस द्वीप पर जाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वो असफल रहे। सेंटिनेलिस समुदाय के बारे स्थानीय लोगों के माध्यम से पता चला कि वो बाहरी दुनिया के संपर्क में रहना पसंद नहीं करते।

2- पहले प्रयास में असफल होने के दो दिन बाद यानि 16 नवंबर को जॉन पूरी तैयारी के साथ फिर से द्वीप पर पहुंचे, इस दौरान उन्होंने अपनी नाव बीच रास्ते में ही छोड़ दी और टेंट के साथ थोड़ा और सामान लेकर द्वीप में प्रवेश कर गए। स्थानीय मछुआरों ने बताया कि जॉन ने जैसे ही द्वीप में कदम रखा सेंटिनेलिस समुदाय के आदिवासियों ने उन पर तीर-कमान से हमला कर दिया गया।

3- जॉन की हत्या करने के बाद सेंटिनेलिस समुदाय के लोग उनके शव को रस्सी में बांधकर घसीटते हुए समुद्र तट तक ले गए और शव को रेत में दफना दिया। इस घटना को देखकर मछुआरे वहां से डरकर भाग गए। अगले दिन सुबह जब वो उस जगह पहुंचे तो उन्होंने देखा कि जॉन का शव समुद्र किनारे पड़ा था, लेकिन मछुआरे उस शव को अपने साथ लाने की हिम्मत नहीं कर सके।

4- डरे हुए मछुआरे राजधानी पोर्ट ब्लेयर पहुंचे और मामले की जानकारी जॉन के दोस्त और स्थानीय उपदेशक एलेक्स को दी। एलेक्स ने अमेरिका में रहने वाले जॉन के घरवालों को पूरी घटना के बारे में बताया, इसके बाद नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास से मदद मांगी।

5- दूतावास में जॉन के घर वालों तक उनकी मृत्यु का संदेश पहुंचा और अमेरिकी अधिकारियों की शिकायत के बाद पुलिस ने उन सातों मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया जिनके साथ जॉन उस प्रतिबंधित द्वीप गए थे। पुलिस अधिकारियों ने जॉन का शव खोजने के लिए हेलीकाप्टर भेजा, लेकिन वे सेंटिनेलिस समुदाय के हमले की वजह से द्वीप पर हेलीकाप्टर नहीं उतार सके।

6- जॉन के उपदेशक मित्र एलेक्स ने पुलिस को बताया कि जॉन पिछले कई सालों में कई बार अंडमान आ चुके थे। वो खुद भी उपदेशक थे, जो सेंटिनेलिस समुदाय से बातचीत करके उनका धर्म परिवर्तन करवाना चाहते थे। स्थानीय लोगों से पता चला कि सेंटिनेलिस समुदाय का ये इलाका प्रतिबंधित क्षेत्र है यहां पर जाने के लिए प्रशासन से अनुमति लेनी होती है।

7- पुलिस ने बताया कि जॉन को जो सात मछुआरे उत्तरी सेंटिनेलिस द्वीप ले गए थे उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। इस जनजाति और इस इलाके को संरक्षित श्रेणी में रखा गया है, और जॉन बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के यहां पहुंचे थे इसलिए अब इस मामले पर कानूनी कार्रवाई भी नहीं होगी। उन्होंने सेंटिनेलिस समुदाय के लोगों से मिलने की इच्छा जताते हुए मछुआरों को उनके पास ले जाने के लिए राजी कर लिया था।

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