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ADGP Suicide: क्या खाया...आईएएस ने अपनाया था सुसाइड का कोई दूसरा तरीका? लैपटॉप में बंद सच; इसी में है टाइप नोट


वाई पूरण कुमार की तरफ से लिखे गए सुसाइड नोट में जिन शिकायतों का जिक्र है, चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी ने उसका रिकॉर्ड मानवाधिकार आयोग व संबंधित विभागों से मांगा है।
सुसाइड नोट में एडीजीपी ने हरियाणा के कई अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोइस बीच चंडीगढ़ पुलिस ने सोमवार को मृतक के परिवार को पोस्टमार्टम के लिए दूसरी बार रिमाइंडर भेजा है। इसमें स्पष्ट है कि मेडिकल कारणों से मौत की पुष्टि और फॉरेंसिक साक्ष्य सुरक्षित रखने के लिए पोस्टमार्टम जरूरी है। शव डिकंपोज की स्थिति में आ रहा है। देरी करने पर जैविक और बैलिस्टिक सबूत नष्ट हो सकते हैं जिससे जांच प्रभावित होगी। सूत्रों ने बताया कि ऐसे मामलों में परिवार की सहमति नहीं मिलने पर पुलिस जिला मजिस्ट्रेट या अदालत का रुख भी कर सकती है। सूत्र बताते हैं कि जांच आगे बढ़ाने के लिए सबसे पहले आधिकारिक तौर पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट की आवश्यकता है। ताकि स्पष्ट हो सके कि मामला वास्तव में आत्महत्या से संबंधित है या नहीं। वाई पूरण कुमार के मामले में सातवें दिन भी परिवार पोस्टमार्टम के लिए सहमत नहीं हुआ। ऐसी स्थिति में साक्ष्यों के नष्ट होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए जब किसी की मौत मेडिको-लीगल केस (एमएलसी) के तहत होती है तो जांच एजेंसी या पुलिस मृतक के परिजनों की अनुमति के बिना भी पोस्टमार्टम करा सकती है। 



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