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अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में मिट्टी के लाल का सम्मान - INA NEWS TV

DESK : चौथे आजमगढ़ अंतराष्ट्रीय फिल्म समारोह का आगाज 18 मार्च, 2023 अभिनेता यशपाल शर्मा की राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित फिल्म दादा लखमी से हुआ। 

हरियाणा के कबीर और शेक्सपियर कहे जाने वाले लोक गायक पंडित  लखमी चंद की संगीतमय यात्रा पर आधारित इस फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। शारदा टॉकीज के सुसज्जित सभागार में आयोजित फिल्म समारोह देशी- विदेशी फिल्मों के साथ अभिनेता, लेखक, संगीतकार, निर्देशक और फिल्म समीक्षक के मास्टर क्लास के साथ सम्पन्न हुई ।

ज्ञातव्य हो कि तीन वर्ष पूर्व सुप्रसिद्ध सांस्कृतिक पत्रकार एवं फ़िल्म समीक्षक अजित राय ने रंगकर्मी दंपती अभिषेक- ममता पंडित और उनकी मंडली सूत्रधार संस्थान के साथ आजमगढ़ में एक अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह का अनूठा सपना देखा। यह सपना अब हकीकत बनकर इस वर्ष चौथे साल में प्रवेश किया। जो 18-20 मार्च सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। अब यह फिल्म समारोह पूर्वांचल का प्रतिनिधि उत्सव बन चुका है।

पूर्वांचल और अनेक जगह से बड़ी संख्या में युवा सम्मिलित होते हैं और कुशल पेशेवरों से फिल्म निर्माण की बारीकियां सीखते हैं तथा विश्व स्तरीय हिंदी सिनेमा का आनंद उठाते है। इसमें राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय फिल्मकारों, निर्देशकों, अभिनेताओं के साथ देश के जाने-माने फिल्म पत्रकार और बुद्धिजीवी भी शामिल होते हैं। स्थानीय रंगकर्मी बंद पड़े शारदा टाकीज के खंडहर में एक कलात्मक ब्लैक बाक्स थियेटर बनाते हैं। बाहर सुंदर प्रदर्शनी भी लगाई जाती है। लेकिन मूल रूप से यह विचार-कला-सरोकार के सिनेमा को समर्पित समारोह है।

अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के चौथे संस्करण में फिल्म और टेलीविजन की प्रमुख हस्तियों को सम्मानित किया गया। आजमगढ़ के लाल मशहूर टेलीविजन धारावाहिकों के सम्पादक संतोष सिंह को भी सम्मानित किया गया। वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र राय ने इन्हें सम्मानित किया। विदित हो कि संतोष सिंह भारतीय टेलीविजन की वह रचनात्मक उपस्थिति है जो सैटेलाइट चैनलों की क्रांति के साक्षी और संवाहक दोनों बने।

आज़मगढ़ जिले के बाई जबरी के पास रामनगर कुकरौची गांव के रहनेवाले संतोष सिंह का बचपन गांव में ही बीता। अभी भले ही वह टीवी और फिल्म संसार में मुंबई रहते हों, पर अपनी मिट्टी की सोंधी महक में ही इनकी जान बसती है। अपनी मिट्टी, अपनी लोकसंस्कृति और अपने गाँव से बेहद लगाव है । सन दो हज़ार में सैटेलाइट एंटरटेनमेंट चैनलों ने भारतीय जनमानस के सामने डेली सोप का जो व्यंजन परोसा उसकी गुणवत्ता और उसके प्रति अभिरुचि  जगाने-बढ़ाने में इन्होंने एक सीरियल एडिटर के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई । 

स्टार प्लस, ज़ी टीवी, सहारा टीवी, सोनी, कलर्स या एनडीटीवी इमेजिन के सारे टॉप डेली सोप के एडिटर के रूप में चमकता हुआ एक जरूरी नाम बने संतोष। अपने दो दशक के रचनात्मक करियर में संतोष सिंह ने 18 हज़ार से ज़्यादा एपिसोड्स संपादित किये हैं। टेलीविजन के वे सभी घर-घर चर्चित धारावाहिक बालिका वधू, वो रहने वाली महलों की, अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजौ, साथिया, संजीवनी, बिदाई, ससुराल गेंदा फूल और ऐसे अनेक धारावाहिकों को संपादित किए हैं। 

टीवी के सारे बड़े प्रोडक्शन हाऊस ने बेहतरीन एडिटिंग के लिए हमेशा इन्हें याद किया। चाहे वो राजश्री प्रोडक्शन हो, बीआर फिल्म्स हो, स्पेयर ऑरिजिन हो, डायरेक्टर्स कट हो या रश्मि शर्मा प्रोडक्शन हो या स्वास्तिक हो, कॉन्टिलो हो,  सभी के धारस्वहिकों में संतोष सिंह की एडिटिंग का हस्ताक्षर मिलेगा। 

संतोष सिंह ने बेहतरीन सम्पादन के लिए ढेर सारे पुरस्कार जीते हैं। सबसे पहले बालिका वधू के लिए बेस्ट एडिटर का टेली अवॉर्ड , उसके बाद 2010 में झांसी की रानी के लिए इन्हें बेस्ट एडिटर का अवॉर्ड मिला और 2018 में डेली सोप तू आशिक़ी के लिए इन्हें बेस्ट एडिटर पुरस्कार से सम्मानित-पुरस्कृत किया गया।

भोजपुरी मिट्टी और संस्कृति में रचे-बसे संतोष सिंह ने महुआ चैनल पर एक बेहद लोकप्रिय सीरियल स से सरसती का निर्माण किया। भोजपुरी सीरियल के इतिहास में स से सरसती मील का पत्थर है। महिला सशक्तीकरण को लेकर ज़ी गंगा पर इन्होंने दूसरा भोजपुरी सीरियल कनिया प्रधान का निर्माण किया, जिसे बहुत सराहना मिली। इसके अलावे बिग मैजिक चैनल  पर पुलिस फाइल्स और प्यार और दहशत,  फिर आज़ाद चैनल पर पवित्रा : भरोसे का सफर जैसे हिन्दी डेली सोप को इन्होंने प्रोड्यूस किया।  अभी उनका एक नया हिन्दी धारावाहिक की शूटिंग अगले महीने बनारस में होने जा रहा है। 

मुम्बई के अंधेरी वेस्ट में इनका एडिटिंग स्टूडियो के साथ साथ वीएफएक्स स्टूडियो है।  संतोष सिंह की मनोरंजन जगत में उल्लेखनीय यात्रा शुरू लगातार जारी है। हमेशा बड़े स्केल पे सोचनेवाले संतोष सिंह का अगला कदम वेब सीरीज और सिनेमा है। इनका पार्थ प्रोडक्शन एक ऐसे ऐतिहासिक और ज़रूरी विषय पर काम कर रहा है जिस पर अभी तक काम हुआ ही नहीं है।  संतोष का यह विश्वास है कि एक छोटे से कदम से ही हज़ारों मील की यात्रा शुरू होती है। इसलिए वे टेलीविजन से सिनेमा की ओर अपने कदम बढ़ा चुके हैं।

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