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आदिशक्ति की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र आज से

उदय सिंह यादव, प्रधान संपादक 

DESK : भक्तों के कल्याण के लिए महिषासुरमर्दिनी की कलश स्थापना सोमवार को प्रतिपदा तिथि पर होगी। भक्तों के द्वार पर मां दुर्गा के आगमन पर नौ दिवसीय विविध अनुष्ठान घरों से लेकर मंदिरों तक आरंभ हो जाएंगे। शहर में सौ से अधिक स्थानों पर पूजा पंडाल आकार ले चुके हैं।

इस बार नवरात्र में शुक्र अस्त रहेगा। ऐसे में मां की नौ दिवसीय आराधना, अनुष्ठान, स्तोत्र पाठ तो होंगे, लेकिन शुभ कार्य नहीं किए जा सकेंगे। इस दौरान ग्रहों की शांति के लिए पूजा हो सकेगी। शारदीय नवरात्र इस बार ब्रह्म मुहूर्त में उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और चित्र नक्षत्र के साथ शुक्ल योग में आरंभ होगा। दो अक्तूबर को मूल नक्षत्र में सरस्वती देवी का आवाहन होगा।

इसी दिन महासप्तमी भी होगी और शत्रु पराजय के लिए मां कालरात्रि के स्वरूप की आराधना की जाएगी। तीन अक्तूबर को दुर्गाष्टमी पर घरों से लेकर मंदिरों तक कन्या पूजन, लक्ष्मी पूजन के विशेष अनुष्ठान होंगे। इसी तरह चार अक्तूबर को दुर्गा नवमी पर हवन-पूजन के साथ मां की आराधना के नौ दिवसीय अनुष्ठानों की पूर्णाहुति होगी।

पांच अक्तूबर को श्रवण नक्षत्र और विजय मुहूर्त में विजय दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।

नवरात्र में माता दुर्गा के पूजा किए जाने के भी अलग-अलग स्वरूप एवं मान्यताएं हैं 

मान्यता है कि जब मां दुर्गा ने महिषासुर नाम के राक्षस का वध किया था तब से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में नवरात्र पर्व पर माता दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है, वही कुछ विद्वानों का मत है कि माता साल के इन 9 दिनों में अपने मायके आती हैं, ऐसे में इन 9 दिनों को दुर्गा उत्सव का उत्सव के रूप में भव्य रूप से मनाया जाता है 
हिंदुस्तान में नवरात्र का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, उत्तर भारत में नवरात्रि के पर्व पर माता दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना होती है,

यहां पर भक्त उपवास भी रखते हैं कुछ वक्त निर्जला व्रत भी रखते हैं 9 दिनों में देवी मां के पूजा अर्चना के अलग-अलग विधि-विधान हैं

प्रथम दिन माता की कलश स्थापना होती है तथा प्रथम दिन से ही अष्टमी या नवमी तक 8 - 10 बर्ष तक की कुंवारी कन्याओं को श्रद्धा अनुसार भोजन कराया जाता है 

वहीं ज्यादातर स्थानों पर रामलीला का मंचन भी किया जाता है, भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग उत्सव आयोजित किए जाते हैं

जिसमें पश्चिम बंगाल में नवरात्र के आखिरी के 4 दिनों में माता की भव्य मूर्ति लगाकर विशाल दुर्गा उत्सव का आयोजन किया जाता है ,

गुजरात और महाराष्ट्र में गरबा डांस और डांडिया की जबरदस्त  धूम रहती है 

राजस्थान के कई इलाकों में देवी की विशाल पूजा अर्चना एवं कई कई जगह पशु बलि की प्रथा है

तमिलनाडु में माता के पैरों के निशान और प्रतिमा को झांकी के तौर पर सजा कर घर में स्थापित किया जाता है जिसे गोलू या कोलू भी कहते हैं माता की झांकी को देखने के लिए अड़ोस पड़ोस से काफी लोग आते हैं 

 नवरात्रि के 9 दिन में

पहला दिन मां शैलपुत्री

नवरात्रि के पहले दिन पर्वतराज हिमालय की पुत्री माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है, मान्यता है कि इस दिन जो भी मां दुर्गा के स्वरूप को गाय के घी का भोग लगायेगा उसको माता की कृपा प्राप्त होगी, उसके सभी रोगों का नाश होगा माता उसे हर संकट से बचाए रखेगी !!

दूसरा दिन - मां ब्रह्मचारिणी
तीसरा दिन - मां चंद्रघंटा
चौथा दिन - मां कुष्मांडा
पाचवां दिन - मां स्कंदमाता
छठां दिन - मां कात्यायनी
सातवां दिन - मां कालरात्रि
आठवां दिन - देवी महागौरी
नौवां दिन - मां सिद्धिदात्री

नवरात्रि का यह उत्सव हमें बुराई पर अच्छाई का संदेश एवं माता पर विश्वास का प्रतीक है, माता की कृपा अपने भक्तों की सदा रहती है 

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