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किसानों पर सुपरएक्टिव हुए राजनीतिक दल, हर जिले में खुला पक्ष-विपक्ष में मोर्चा

 बीजेपी देश भर में कृषि कानूनों पर जनसमर्थन जुटाने के लिए किसान सम्मेलन और चौपाल शुरू कर रही है. वहीं, विपक्ष ने किसानों के समर्थन में गांव-गांव पंचायत और जिला मुख्यालय पर धरना देने की कवायद शुरू की है. इस तरह विपक्ष कानून की खामियों को किसानों के बीच पहुंचाने की तैयारी में है. कुल मिलाकर किसानों के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष की सियासत तेज होती नजर आ रही है.  नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की नाराजगी दिन-ब दिन बढ़ती जा रही है. किसान तीनों कृषि कानूनों की रद्द कराने की अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में कृषि कानूनों पर सत्तापक्ष और विपक्षी पार्टियों के बीच तू डाल-डाल मैं पात-पात की राजनीति शुरू हो गई है


.बीजेपी देश भर में कृषि कानूनों पर जनसमर्थन जुटाने के लिए किसान सम्मेलन और चौपाल शुरू कर रही है. वहीं, विपक्ष ने किसानों के समर्थन में गांव-गांव पंचायत और जिला मुख्यालय पर धरना देने की कवायद शुरू की है. इस तरह विपक्ष कानून की खामियों को किसानों के बीच पहुंचाने की तैयारी में है. कुल मिलाकर किसानों के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष की सियासत तेज होती नजर आ रही है. बीजेपी की किसान चौपाल किसानों के साथ सुलह की गुंजाइश कम देखते हुए बीजेपी में देश भर में कृषि कानूनों का फायदा किसानों को बताने का बीड़ा उठाया है. बीजेपी ने देशभर में 700 जगहों पर चौपाल लगाने का ऐलान किया है. बीजेपी इन चौपाल के जरिए किसानों को कृषि कानूनों के बारे में गलतफहमी दूर करने और किसानों को कानून के फायदे गिनाने का काम करेगी ताकि किसान आंदोलन को काउंटर कर सके. बीजेपी के बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री से लेकर बीजेपी शासित राज्यों के मंत्री किसान सम्मेलन और चौपाल में शामिल होंगे. 

यूपी में बीजेपी का सम्मेलन
उत्तर प्रदेश में बीजेपी किसान सम्मेलन का आगाज पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्य के पार्टी प्रभारी राधामोहन सिंह बस्ती जिले से सोमवार को करेंगे. 14 दिसंबर से शुरू होकर यह किसान सम्‍मेलन 18 दिसंबर तक चलेगा. राधामोहन सिंह हर रोज तीन से चार जिलों में किसान सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयक को लेकर किसानों में भ्रम फैलाया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि दशकों तक जिन दलों ने सत्ता में रहते हुए किसानों को छला वही लोग आज ऐतिहासिक कानूनों को लेकर किसानों में भ्रम फैला रहे हैं. ऐसे में किसानों को कानून की सही बातें समझाना हमारा कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में गांव, गरीब, किसान है और केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानून किसानों को ज्यादा अवसर व विकल्प प्रदान करने वाले हैं. 

सपा का जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन
बीजेपी सूबे के कृषि कानून पर जनसमर्थन जुटाने के लिए सम्मलेन कर रही है तो समाजवादी पार्टी किसानों के पक्ष में खड़ी नजर आ रही है. सपा के कार्यकर्ताओं ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदेश भर के जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन शुरू किए हैं. हालांकि, सपा के विरोध प्रदर्शन के ऐलान को देखते हुए प्रशासन ने सभी जिलों में बड़ी तादाद में पुलिस फोर्स लगा रखी है. सपा के कई नेताओं को नजरबंद भी किए जाने की बातें सामने आ रही हैं. कैसरबाग स्थित समाजवादी पार्टी कार्यालय को पुलिस ने छावनी में तब्दील कर दिया. समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता भारी संख्या में कैसरबाग स्थित कार्यालय पर पहुंच रहे हैं. ऐसे में पुलिस ने समाजवादी पार्टी कार्यालय को बैरिकेडिंग कर चारों तरफ से घेरा रखा है. 

बिहार में किसान चौपाल शुरू
किसान सम्मेलन की शुरुआत रविवार को पटना के बख्तियारपुर से हो भी चुकी है. प्रदेश भाजपा पूरे बिहार में 99 किसान सम्मेलन और 243 किसान चौपाल लगाएगी. इन सम्मेलनों के माध्यम से, कृषि बिल किस तरह से किसानों के फायदे के लिए है यह बताया जाएगा. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बख्तियारपुर में कहा कि किसानों को पूरी आजादी मिलनी चाहिए कि उनकी फसल देश में कहीं भी जाए, उसे कोई रोकेगा नहीं. इस तरह से उन्होंने किसान सम्मेलन का आगाज बिहार से किया है, जिसके बाद पार्टी नेता और विधायक पूरे बिहार में ऐसे ही सम्मलेन करेंगे.

महागठबंधन की गांव-गांव किसान पंचायत
बिहार में विपक्षी महागठबंधन कृषि कानून को लेकर किसानों को जागरूक करने जा रहा है. आरजेडी के कार्यकर्ता गांव-गांव घूमकर कृषि बिल की खामियों को बतांएगे. यह काम अगले 11 दिन तक करने के बाद 23 दिसंबर को पार्टी चौधरी चरण सिंह की जयंती के दिन बड़ा कार्यक्रम करेगी. इसका पूरा ब्लू प्रिंट तैयार किया जा रहा है. आरजेडी के साथ कांग्रेस की भी तैयारी यह है कि किसान आंदोलन को मजबूत करने के लिए बिहार से किसान दिल्ली कूच करेंगे. वहीं, आरजेडी की सहयोगी वामपंथी पार्टी ने किसानों के मुद्दे को लेकर गांव से जिला तक में आंदोलन करने का फैसला किया है. 

किसानों के समर्थन में शिवसेना
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए किसानों के मुद्दे को उठाया है और केंद्र सरकार पर सवालों की बौछार की है. शिवसेना ने लिखा कि जिस किसान कानून को लेकर देश के कृषक वर्ग में आग लगी है, उस बारे में सरकार कुछ भी नहीं कहती है. उल्टे आंदोलन और आंदोलनरत किसानों पर कीचड़ उछालने का प्रयास चल रहा है. पेट्रोल-डीजल दर वृद्धि के संदर्भ में भी 'सरकार कुछ कहती नहीं है और दर वृद्धि भी रुकती नहीं है' ऐसा ही चल रहा है. इसलिए वहां किसान आंदोलन की धार तेज हो रही है और यहां ईंधन वृद्धि की मार पड़ रही है. पहले ही बढ़ी हुई महंगाई में तेल डाला जा रहा है. दिल्ली में किसान आंदोलन का दावानल भड़क उठा है.


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