गौसगंज गांव में 17 जुलाई को विवाद शुरू हुआ था। मुहर्रम पर गांव में ताजिया घुमाया जा रहा था। तब एक समुदाय के लोगों ने ताजिया दूसरे समुदाय की बस्ती में ऐसी जगह रख दिया, जहां पहले कभी नहीं रखा गया। लोगों ने नई परंपरा बताकर ऐतराज जताया तो दूसरे पक्ष के लोग रंजिश मान बैठे।
इसी रंजिश में 19 जुलाई की रात को भीड़ ने गांव के कुछ परिवारों पर हमला कर दिया। तोड़फोड़ और पथराव किया गया। हमले में घायल तेजराम ने उपचार के दौरान रविवार रात दम तोड़ दिया। इसकी खबर मिलते ही उसके परिवार में कोहराम मच गया। उसकी पत्नी व अन्य परिजनों को रो-रोकर बुरा हाल हो गया।
तोड़फोड़ बलवे के मामले में पुलिस ने 50 नामजद समेत 65 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। इसके अलावा एसओ अमित कुमार ने 75 आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। आरोपियों से 33 आरोपियों को शनिवार को जेल भेज दिया गया था। शाही पुलिस ने दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया। एक आरोपी आलमगीर को गोली लगी है।
दो समुदायों के विवाद की जांच में प्रारंभिक तौर पर ताजिया घुमाने के दौरान पुलिस की लापरवाही सामने आई है। एसएसपी ने मामले में जांच कराने के बाद सिपाही नफीस अहमद को निलंबित कर दिया। वहीं दरोगा राधाकृष्ण, हेड कांस्टेबल राजवीर सिंह, सिपाही सुहेल अहमद और गुलफाम को लाइन हाजिर कर दिया।
गौसगंज गांव में राजस्व टीम ने रविवार को आरोपियों के घरों की नापजोख की। अवैध निर्माण पर लाल निशान लगाए। सोमवार को प्रशासन की टीम बुलडोजर लेकर पहुंची और एक आरोपी इरशाद के दो मकानों के अवैध निर्माण को गिरवा दिया। एसपी दक्षिणी मानुष पारीक ने बताया कि आरोपियों में से कुछ पर रासुका की कार्रवाई हो सकती है।
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