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Chhath Puja : दुनिया का सबसे कठिन व्रत, 36 घंटे निराजल रहकर जमीन पर सोते हैं व्रती - INA NEWS

उदय सिंह यादव, प्रधान संपादक - INA NEWS TV 

चूल्हे पर आम की लकड़ी से प्रसाद बनाना। 36 घंटे तक निराजल व्रत। व्रत के दौरान बिना सिला हुआ कपड़ा पहनना। पूरे व्रत के दौरान जमीन पर सोना। ये नियम और संयम लोकपर्व छठ को बेहद खास बनाते हैं। दुनिया के सबसे कठिन व्रत में शामिल छठ का महाव्रत देखने में जितना मनभावन लगता है, उतना ही कठिन है इसके नियम और संयम को निभाना।

नहाय खाय के साथ छठ के अनुष्ठान, नियम और संयम आरंभ हो जाते हैं। खरना के बाद निराजल व्रत भी आरंभ होता है, जो उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही पूर्ण होता है। इस अवधि में व्रती को खुद ही पूजन का प्रसाद भी तैयार करना होता है। शुद्धता, पवित्रता और शुचिता का ध्यान रखते हुए सभी अनुष्ठान को पूरा करना होता है। 

दुनिया में छठ का महाव्रत सबसे कठिन व्रत होता है। खरना के दौरान मीठा भोजन करने के बाद व्रतियों का व्रत आरंभ हो जाता है। वह मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी पर ही व्रत के लिए प्रसाद तैयार करती हैं। अन्य किसी दूसरे व्रत में तो व्रती को शांति से एक स्थान पर बैठने का भी अवसर मिलता है, लेकिन इसमें तो व्रती को खुद ही प्रसाद तैयार करना पड़ता है। चार दिनों की पूजा के दौरान इतना ज्यादा कार्य होता है। सबमें सफाई का खास ध्यान रखना होता है।

प्रकृति के प्रत्यक्ष देव की होती है उपासना

प्रो. विनय पांडेय का कहना है कि सूर्य को ज्योतिष में आत्मा कारक ग्रह माना गया है। नवग्रहों का राजा कहा गया है। सौर मंडल के ग्रह सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं। भगवान सूर्य सृष्टि के कारक हैं। अगर सूर्य स्थिर हो जाएंगे तो सृष्टि रुक जाएगी।
 

पृथ्वी के सबसे नजदीक होते हैं सूर्य

वाराणसी। कार्तिक शुक्ल पंचमी से सप्तमी तक भगवान सूर्य पृथ्वी के सबसे नजदीक निम्नतम बिंदु पर होते हैं।भारतीय ज्योतिष की गणना के अनुसार भगवान सूर्य की आराधना स्वास्थ्य, अध्यात्म और सृष्टि की दृष्टि से लाभदायक व अनुकूल होती है। छठ में भगवान सूर्य के साथ ही षष्ठी देवी की भी पूजा होती है, जो भाग्य प्रदायिका, संतति और कुल वृद्धि की कारक होती हैं।

जल में खड़े होकर भगवान सूर्य का तेज ग्रहण करते हैं व्रती

चंद्रमा जल और सूर्य अग्नि का कारक होता है। व्रती जल में खड़े होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। पुराणों के अनुसार चंद्र और सूर्य के मिलने से ही सृष्टि की उत्पत्ति हुई है। यह समवेत स्वरूप फलदायक होता है। व्रती जल में खड़े होकर भगवान सूर्य का तेज ग्रहण करते हैं।
 
उपवास से मिलती है राहत

राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के शारीर क्रिया विभाग के प्रो. अजय का कहना है कि उपवास बहुत से रोगों का इलाज है। कार्तिक मास में शरद ऋतु के दौरान शरीर में पित्त की प्रधानता हो जाती है। रोगियों को उपवास की सलाह दी जाती है। इससे शरीर में पित्त उत्पादन की क्षमता कम हो जाती है। पेट की समस्याओं से राहत मिलती है। व्रत और उपवास स्वास्थ्य के लिहाज अच्छे साबित होते हैं।

ये हैं कठिन व्रत

-करवाचौथ

करवाचौथ की शुरूआत सूर्योदय के पूर्व शुरू होकर चंद्रोदय तक चलता है। महिलाएं निराजल रहकर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। करवा चौथ का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।

हरितालिका तीज- 24 घंटे का व्रत

-हरितालिका तीज का व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। कड़े नियमों को चलते इसे सबसे ज्यादा कठिन व्रत माना जाता है। व्रत के दौरान महिलाएं बिना अन्न और जल ग्रहण किए 24 घंटे तक रहती हैं। व्रत के दौरान रात में जागरण किया जाता है।

निर्जला एकादशी

निर्जला एकादशी का व्रत करना पूरे साल की एकादशी के व्रत के समान है। इसमें सूर्योदय के बाद और अगले दिन सूर्योदय तक अन्न-जल ग्रहण नहीं करते हैं। ज्येष्ठ मास में शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी के रूप में मनाते हैं।

नवरात्र

नवरात्र का व्रत चैत्र और शारदीय माह में रखा जाता है। नौ दिन तक चलने वाले व्रत में कुछ लोग पूरे नौ दिन अन्न ग्रहण नहीं करते हैं। कुछ लोग नौ दिन नमक नहीं खाते, तो कुछ लोग मीठे का त्याग करते हैं। कई लोग सिर्फ एक फल से भी पूरे नौ दिन व्रत करने का संकल्प लेते हैं।

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