स्पेशल स्टोरी - उदय सिंह यादव, प्रधान संपादक : INA NEWS TV,
प्रयागराज : अतीक अहमद उमेश पाल अपहरण कांड में उम्रकैद की सजा सुनाई है। अतीक के साथ दोषी करार दिए गए दिनेश पासी और सौलत हनीफ को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। हालांकि, अतीक के भाई अशरफ समेत सात जीवित आरोपी मंगलवार को दोष मुक्त करार दिए गए हैं। माफिया अतीक पर आज से 44 साल पहले पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। तब से अब तक उसके ऊपर सौ से अधिक मामले दर्ज हुए, लेकिन पहली बार किसी मुकदमे में उसे दोषी ठहराया गया है।
आइये जानते हैं उस मामले में के बारे में जिसमें अतीक दोषी करार दिया गया। कैसे उमेश पाल ने 17 साल तक अतीक को सजा दिलाने के लिए संघर्ष किया। कैसे सजा मिलने से पहले उमेश की हत्या कर दी गई।
किस मामले में दोषी करार दिया गया अतीक?
घटना 2006 की है। इसे लेकर मुकदमा 2007 में दर्ज हुआ। लेकिन, कहानी 2005 से शुरू होती। दरअसल 25 जनवरी 2005 का दिन इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से नवनिर्वाचित विधायक राजू पाल पर जानलेवा हमला हुआ। शहर के पुराने इलाकों में शुमार सुलेमसराय में बदमाशों ने राजू पाल की गाड़ी पर गोलियों की बौछार कर दी थी। सैकड़ों राउंड फायरिंग से गाड़ी में सवार लोगों का पूरा शरीर छलनी हो गया।
बदमाशों ने फायरिंग रोकी तो समर्थक राजू पाल को एक टैंपो में लेकर अस्पताल ले जाने लगे। हमलावरों ने ये देखा तो उन्हें लगा राजू जिंदा हैं। तुरंत हमलावरों ने अपनी गाड़ी टैंपो के पीछे लगा ली और फिर फायरिंग शुरू कर दी। करीब पांच किलोमीटर तक वह टैंपो का पीछा करते गए। जबतक राजू पाल अस्पताल पहुंचे, उन्हें 19 गोलियां लग चुकी थीं। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। दस दिन पहले ही राजू की शादी पूजा पाल से हुई थी। राजू पाल के दोस्त उमेश पाल इस हत्याकांड के मुख्य गवाह थे।
हत्याकांड के बाद अतीक ने कई लोगों से कहलवाया कि उमेश केस से हट जाएं नहीं तो उन्हें दुनिया से हटा दिया जाएगा। उमेश नहीं माने तो 28 फरवरी 2006 को उसका अपहरण कर लिया गया। उसे करबला स्थित कार्यालय में ले जाकर अतीक ने रात भर पीटा था। अतीक ने उनसे अपने पक्ष में हलफनामा लिखवा लिया। अगले दिन उमेश ने अतीक के पक्ष में अदालत में गवाही भी दे दी। हालांकि वह समय बदलने का इंतजार कर रहे थे।
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