Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

ads header

एसएसपी बनकर सीओ व थानेदार, ऊर्जा मंत्री बनकर एसडीओ-जेई को करते थे फोन

पुलिस ने एक दिन पहले ही रामनगर निवासी श्यामेंद्र और सोरंाव गांव निवासी अंकित शुक्ला को जेल भेजा है। सूत्रों ने बताया कि उनसे पूछताछ में बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए। एसएसपी का सीयूजी नंबर हैक कर मेजा सीओ अमिता सिंह के पास भी फोन किया था। 
अफसरों के मोबाइल नंबर हैक कर अधीनस्थों को फोन करने वाले हैकरों से पूछताछ मेें चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पता चला है कि वह एसएसपी बनकर सीओ-थानेदार और ऊर्जा मंत्री बनकर एसडीओ-जेई को फोन करते थे। एक आरोपी श्यामेंद्र उपाध्याय तो इसी हनक की बदौलत एक एक्सईएन व पूर्व एसडीओ की गाड़ी में भी घूमने लगा था। पुलिस ने एक दिन पहले ही रामनगर निवासी श्यामेंद्र और सोरंाव गांव निवासी अंकित शुक्ला को जेल भेजा है। सूत्रों ने बताया कि उनसे पूछताछ में बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए। एसएसपी का सीयूजी नंबर हैक कर मेजा सीओ अमिता सिंह के पास भी फोन किया था। जमीन पर कब्जे के मामले में एक पक्ष की मदद करने का दबाव बनाया था। हालांकि सीओ का कहना है कि शक होने पर उन्होंने जांच पड़ताल की तो पता चला कि यह किसी की शरारत थी। इसके बाद उन्होंने साइबर सेल में शिकायत भी दर्ज कराई थी। आरोपी खुद को बताता था ऊर्जा मंत्री का खासश्यामेंद्र बिजली विभाग में ठेकेदारी करता था। उसने पूछताछ में बताया कि वह खुद को तत्कालीन ऊर्जा मंत्री का खास बताता था। कई बार अपनी पैरवी में उसने ऊर्जा मंत्री बनकर बिजली विभाग के अफसरों को फोन भी किया था। यही वजह थी कि स्थानीय अधिकारियों के बीच उसकी अच्छी पैठ थी। .तो एसओ को झांसा देकर दर्ज कराई एफआईआर? मेजा थाना प्रभारी धीरेंद्र सिंह के पास भी आरोपियों ने फोन किया था। पुलिस का एक बड़ा अधिकारी बनकर मारपीट के मामले में आरोपियों पर कार्रवाई को कहा था। इस मामले में श्यामेंद्र की तहरीर परएफआईआर भी दर्ज हुई थी। चर्चा है कि यह एफआईआर भी आरोपियों ने पुलिस के एक बड़े अफसर का नंबर हैक कर कराई थी। अफसर बनकर थानेदार के पास फोन किया, जिसके बाद रिपोर्ट दर्ज हुई। हालांकि एसओ इससे इंकार करते रहे। उनका कहना है कि आरोपी के बेटे से मारपीट हुई थी और जांच पड़ताल के बाद ही एफआईआर दर्ज की गई थी। 
बाबुओं की की थी सिफारिश
चर्चा यह भी है कि इन हैकरों ने तहसील में भी अपना जाल बिछाया गया था। इन्होंने कई लेखपालों के स्थानांतरण की भी सिफारिश की थी। इसके अलावा मेजा तहसील के कई बाबू इन्हीं की बदौलत आठ-10 सालों से भी ज्यादा समय से मेजा तहसील में ही डटे हैं। 
यूट्यूब से सीखा एप का इस्तेमाल
पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने पूछताछ में बताया है कि उन्होंने एप प्लेस्टोर से डाउनलोड किया। साथ ही यूट्यूब से इसे इस्तेमाल करने का तरीका सीखा। 

Post a Comment

0 Comments