DESK : नवरात्र के त्योहारों से साफ संदेश है की मां की ममता जब सृष्टि का सृजन कर सकती है तो वही मां विकराल रूप ले कर दुष्टो का सर्वनाश भी कर सकती है
नवरात्र में माता दुर्गा के पूजा किए जाने के भी अलग-अलग स्वरूप एवं मान्यताएं हैं
मान्यता है कि जब मां दुर्गा ने महिषासुर नाम के राक्षस का वध किया था तब से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में नवरात्र पर्व पर माता दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है, वही कुछ विद्वानों का मत है कि माता साल के इन 9 दिनों में अपने मायके आती हैं, ऐसे में इन 9 दिनों को दुर्गा उत्सव का उत्सव के रूप में भव्य रूप से मनाया जाता हैहिंदुस्तान में नवरात्र का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, उत्तर भारत में नवरात्रि के पर्व पर माता दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना होती है,
यहां पर भक्त उपवास भी रखते हैं कुछ वक्त निर्जला व्रत भी रखते हैं 9 दिनों में देवी मां के पूजा अर्चना के अलग-अलग विधि-विधान हैं
प्रथम दिन माता की कलश स्थापना होती है तथा प्रथम दिन से ही अष्टमी या नवमी तक 8 - 10 बर्ष तक की कुंवारी कन्याओं को श्रद्धा अनुसार भोजन कराया जाता है
- वहीं ज्यादातर स्थानों पर रामलीला का मंचन भी किया जाता है, भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग उत्सव आयोजित किए जाते हैं
- जिसमें पश्चिम बंगाल में नवरात्र के आखिरी के 4 दिनों में माता की भव्य मूर्ति लगाकर विशाल दुर्गा उत्सव का आयोजन किया जाता है ,
- गुजरात और महाराष्ट्र में गरबा डांस और डांडिया की जबरदस्त धूम रहती है
- राजस्थान के कई इलाकों में देवी की विशाल पूजा अर्चना एवं कई कई जगह पशु बलि की प्रथा है
- तमिलनाडु में माता के पैरों के निशान और प्रतिमा को झांकी के तौर पर सजा कर घर में स्थापित किया जाता है जिसे गोलू या कोलू भी कहते हैं माता की झांकी को देखने के लिए अड़ोस पड़ोस से काफी लोग आते हैं
नवरात्रि के 9 दिन में
पहला दिन मां शैलपुत्री
- दूसरा दिन - मां ब्रह्मचारिणी
- तीसरा दिन - मां चंद्रघंटा
- चौथा दिन - मां कुष्मांडा
- पाचवां दिन - मां स्कंदमाता
- छठां दिन - मां कात्यायनी
- सातवां दिन - मां कालरात्रि
- आठवां दिन - देवी महागौरी
- नौवां दिन - मां सिद्धिदात्री
नवरात्रि का यह उत्सव हमें बुराई पर अच्छाई का संदेश एवं माता पर विश्वास का प्रतीक है, माता की कृपा अपने भक्तों की सदा रहती है
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