नई दिल्ली - एससी/एसटी (अत्याचार रोधी) संशोधन बिल 2018 आज राज्यसभा में पेश किया जाएगा।लोकसभा में इस पर कल ही मुहर लग चुकी है। अधिनियम को अपने पुराने और मूल स्वरूप में फिर से लागू करने के लिए लोकसभा में संविधान संशोधन बिल ध्वनि मत से पारित हो गया था। इस दौरान भाजपा और विपक्ष ने एक दूसरे पर दलित और आरक्षण विरोधी होने के आरोप लगाए। विपक्ष ने इस एक्ट को संविधान की नवीं अनुसूची में डालने की मांग करते हुए इस मामले में अध्यादेश जारी न करने पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। जबकि भाजपा ने कांग्रेस पर दलितों-आदिवासियों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया।
भाजपा आरक्षण विरोधी, दिल में मनु: विपक्ष इस बिल पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकर्जुन खडग़े ने भाजपा को दलित और आरक्षण विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि इस सरकार केदिल में मनु है और यह अंबेडकर, फूले केनाम का ढोंग करती है। खडग़े ने सवाल किया कि आखिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निरस्त करने के लिए सरकार ने अध्यादेश का सहारा क्यों नहीं लिया? इस दौरान टीडीपी सांसद ने सरकार से पूछा कि दलित विरोधी निर्णय करने वाले जस्टिस एके गोयल केखिलाफ सरकार ने महाभियोग लाने का साहस क्यों नहीं दिखाया? उन्हें एनजीटी का अध्यक्ष बना कर उपकृत क्यों किया गया?
एएमयू-जामिया में भी देंगे आरक्षण चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि फैसला आने के बाद सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की। बात नहीं बनी तो संविधान संशोधन बिल ले कर आई। गहलोत ने कहा कि कांग्रेस ने एएमयू-जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्था का दर्जा दे कर वंचित समाज केसाथ छल किया। कांग्रेस केकारण ही इन संस्थाओं के प्रवेश और नौकरी के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू नहीं की जा सकी। सरकार इन विश्वविद्यालयों में आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए पूरी ताकत लगाएगी।
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