NEW DELHI - भारत में हर साल एक अनुमान के मुताबिक 18 लाख से ज्यादा
स्ट्रोक के मामले सामने आते हैं. इनमें से लगभग 15 प्रतिशत मामले 30 और 40 वर्ष से ऊपर के
लोगों को प्रभावित करते हैं. स्ट्रोक या सेरेब्रो वास्कुलर एक्सीडेंट
(सीवीए) के परिणामस्वरूप मस्तिष्क में अचानक रक्त की कमी या मस्तिष्क के भीतर
रक्तस्राव ह
भारत में तेजी से बढ़ रहा स्ट्रोक
भारत में हर साल एक अनुमान के मुताबिक 18 लाख से ज्यादा
स्ट्रोक के मामले सामने आते हैं. इनमें से लगभग 15 प्रतिशत मामले 30 और 40 वर्ष से ऊपर के
लोगों को प्रभावित करते हैं. स्ट्रोक या सेरेब्रो
वास्कुलर एक्सीडेंट (सीवीए) के परिणामस्वरूप मस्तिष्क में अचानक रक्त की कमी या
मस्तिष्क के भीतर रक्तस्राव होता है,
जिसके परिणामस्वरूप न्यूरोलॉजिकल फंक्शन
खराब होने लगता है. मोटापा, धूम्रपान, उच्च रक्तचाप, मदिरा पान, मधुमेह और पारिवारिक इतिहास आदि कारक स्ट्रोक की प्रमुख वजह
बनते है.बीमारी के बारे में कम जागरूकता के कारण इन्हें ठीक से नियंत्रित नहीं
किया जाता
स्ट्रोक के कुछ लक्षणों में चेहरे, हाथ या पैर (विशेष
रूप से शरीर के एक तरफ) की अचानक कमजोरी, भ्रम, बोलने में परेशानी, देखने में परेशानी, चलने में परेशानी, चक्कर आना, संतुलन बनाने में
दिक्कत और गंभीर सिरदर्द आदि शामिल हैं.
वरिष्ठ स्ट्रोक विशेषज्ञ डॉ. विनीत सूरी ने
कहा, 'स्ट्रोक दुनिया भर
में प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताओं में से एक है. पिछले कुछ दशकों में भारत
में इसका बोझ खतरनाक दर से बढ़ रहा है. इस स्थिति को हल करने की तत्काल आवश्यकता
है.
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