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High Court : अधिवक्ता निधि में नौ करोड़ के गबन को लेकर अध्यक्ष-सचिव फिर आमने-सामने

प्रयागराज : हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में नई कार्यकारिणी के गठन के साथ शुरू हुई अंदरूनी कलह फिर सामने आ गई है। अधिवक्ता निधि समेत अन्य मदों में कथित तौर पर नौ करोड़ से ज्यादा रुपयों के गबन को लेकर अध्यक्ष और सचिव एक बार फिर आमने-सामने हैं। 

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कारण बताओ नोटिस जारी कर कार्यालय अधीक्षक पवन कुमार पांडेय से जबाव तलब किया है। वहीं, सचिव विक्रांत पांडेय ने इस कार्रवाई को मनमाना करार दिया है।

अध्यक्ष ने पवन के खिलाफ जारी नोटिस में कई गंभीर आरोप लगाए हैं। कहा है कि पवन ने फोटो सेंटर में जमा होने वाली अधिवक्ता निधि में हेराफेरी के लिए सॉफ्टवेयर से भी छेड़छाड की है। जांच में पता चला है कि गबन का यह सिलसिला 2018 से 2024 तक जारी रहा। दो सर्वरों के जरिये जमा होने वाले रुपये की करीब आधी रकम ही पवन बार के खाते में जमा करते थे। बाकी रकम अपने पास रख लेते थे। अध्यक्ष ने कहा कि कई दस्तावेजी साक्ष्य गबन की पुष्टि करते हैं।

नई कार्यकारिणी के गठन के बाद पकड़े जाने के डर से उन्हाेंने हेराफेरी कर गबन किए गए रुपये बैक डेट की रसीदों के जरिये जमा करने की कोशिश की। इसी दौरान वह पकड़े गए। हेराफेरी के जरिये पवन ने बार एसोसिएशन के 9,58,23,195 रुपये का गबन किया है।

वहीं, सचिव विक्रांत पांडेय ने कार्यालय अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई व कारण बताओ नोटिस को मनमाना बताया। कहा कि 25 लाख की वित्तीय अनियमितता की जानकारी होने पर 10 मई 24 को पांच सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी में वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश खरे, संयुक्त सचिव प्रशासन सुमित श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष रणविजय सिंह, कार्यकारिणी सदस्य दिनेश यादव व सर्वेश्वर लाल श्रीवास्तव शामिल थे। लेकिन,उसी दिन अध्यक्ष ने कमेटी को भंग कर दिया था। अब यह जांच और कारण बताओ नाेटिस औचित्यहीन है।

आरोप बेबुनियाद हैं: पवन पांडेय

नौ करोड़ के गबन मामले में पवन ने कहा कि आरोप बेबुनियाद हैं। मुझे आंतरिक राजनीति का शिकार बनाया जा रहा है। जो रुपये बार की तिजोरी से गायब हुए, उसकी सूचना उन्होंने खुद अध्यक्ष को दी थी। सीसीटीवी कैमरे खराब होने की जानकारी भी दी थी। कारण बताओ नोटिस का विस्तृत जवाब शनिवार को दूंगा।

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