पार्टी नए अध्यक्ष के चयन से पहले नए सदस्यता अभियान की शुरुआत करेगी और उसके बाद राज्यों में संगठन के चुनाव कराएगी। राजनीतिक दलों के अध्यक्ष के चुनाव के लिए तय नियमों के अनुसार अध्यक्ष के चयन से पहले कम से कम 50 फीसदी राज्यों में पार्टी संगठन का चुनाव पूरा होना जरूरी है।
भाजपा को अपने नए अध्यक्ष के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है और पार्टी फिलहाल किसी को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर सकती है। दरअसल, वर्तमान पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के केंद्र में मंत्री बनने के बाद यह तो तय माना जा रहा है कि पार्टी में अध्यक्ष का चेहरा बदलेगा, लेकिन यह तत्काल नहीं होगा। अध्यक्ष पद पर नड्डा का कार्यकाल 30 जून को खत्म हो रहा है
ऐसा करने के लिए भाजपा ने हाल ही में अपने संविधान में संशोधन कर पार्टी के शीर्ष निकाय संसदीय बोर्ड को आपातकालीन स्थिति में अध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ाने सहित अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लेने का अधिकार दिया है। चुनाव नतीजे आने के बाद नड्डा के मंत्री बनने पर नए अध्यक्ष पर कयासों का दौर शुरू हो गया है। इस पद के लिए मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल के नाम चल रहे थे। हालांकि इन तीनों को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के बाद अब पार्टी महासचिव विनोद तावड़े, सुनील बंसल या फिर नरेंद्र सिंह तोमर को इस पद पर बैठाने के कयास लगाए जा रहे हैं।
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