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लखनऊ : अखिलेश यादव ने सीएम केजरीवाल का किया समर्थन

लखनऊ : केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा दिल्ली विधानसभा को लेकर लाए गए अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए लखनऊ पहुंचे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की है। मुलाकात के बाद दोनों नेता मीडियाकर्मियों से भी रूबरू हुए।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि केंद्र सरकार का अध्यादेश लोकतंत्र के खिलाफ है। भाजपा की सरकार केजरीवाल सरकार द्वारा शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए कार्यों को देखकर डर गई है। इसलिए यह अध्यादेश लाई है। हम केजरीवाल सरकार का समर्थन करते हैं और राज्यसभा में अध्यादेश के खिलाफ वोट करेंगे। हमारे सभी सदस्य आम आदमी पार्टी के साथ हैं।

इसके पहले, केजरीवाल ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच ने हमारे पक्ष में फैसला दिया है। जिसके तहत चुनी हुई सरकार के पास ही प्रशासनिक शक्तियां रहेंगी पर मोदी सरकार ने अध्यादेश लाकर दिल्ली सरकार की शक्तियां छीन ली। हम अखिलेश यादव से समर्थन मांगा है कि अगर राज्यसभा में भाजपा सरकार द्वारा लगाया गया अध्यादेश गिर गया तो 2024 के लिए एक मजबूत संदेश जाएगा। अरविंद केजरीवाल प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार से संबंधित केंद्र सरकार के बिल को राज्यसभा में नामंजूर कराने की कवायद में जुटे हैं। इसके लिए केजरीवाल गैर भाजपा दल के नेताओं से मिलकर उनसे समर्थन मांग रहे हैं।

राजभवन भाजपा के मुख्यालय बन गए हैं
इस मौके पर मौजूद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार के काम करने का तरीका देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है। राजभवन भाजपा के मुख्यालय बन गए हैं। जहां गैर भाजपा सरकारें हैं उन्हें राज्यपाल के जरिए परेशान किया जा रहा है। पंजाब में भी यही हो रहा है। यह लोकतंत्र के खिलाफ है।

अखिलेश यादव पहले भी ट्वीट कर जता चुके हैं समर्थन
समाजवादी पार्टी अध्यादेश के खिलाफ है। ऐसे में वह इस मुद्दे पर खुलकर आम आदमी पार्टी का साथ देगी। केजरीवाल से मुलाकात के बाद सपा अध्यक्ष इस मुद्दे पर साथ देने की अधिकृत घोषणा कर सकते हैं। अखिलेश इस मामले में पहले भी आपत्ति जता चुके हैं। उन्होंने ट्वीट करके अध्यादेश को न्यायपालिका का अपमान बताया था। इसलिए माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर सपा अध्यक्ष केजरीवाल के मुहिम में साथ दे सकते हैं।

राज्यसभा में बिल नामंजूर कराने का यह है गणित
दरअसल राज्यसभा में अभी गैर भाजपा दल के सदस्यों की संख्या अधिक है। राज्य सभा में भाजपा के 93 सदस्य हैं, जबकि सहयोगी दल के सदस्यों की संख्या 12 है। इस प्रकार सत्ताधारी दल की कुल संख्या 105 है। जबकि पूरे विपक्षी की सदस्यों की संख्या 133 है। इसलिए केजरीवाल की कोशिश है कि सभी विपक्षियों को एकत्र कर लिया जाए तो केन्द्र द्वारा लाए जाने वाले बिल को राज्यसभा में नामंजूर कराया जा सकता है ।

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