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बाराबंकी : रामनगर के लोधेश्वर महादेवा में जल चढ़ाने पहुंचे 6 लाख भक्त

अजय कुमार विश्वकर्मा, ब्यूरो चीफ

बाराबंकी  : लखनऊ से सटे बाराबंकी के गांव लोधौरा में लोधेश्वर महादेवा मंदिर का इतिहास सालों पुराना है। इस मंदिर में शिवरात्रि के मौके पर लगभग 6 लाख भक्त जल चढ़ाने पहुंचे हैं। रात से ही यहां भक्तों की 3 किलोमीटर तक लंबी लाइनें लग गई। 


यहां पर उत्तर प्रदेश के कई जिलों समेत दूसरे राज्यों से भी लाखों की संख्या में कावड़िये और श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं। पैरों में घुंघरू बांधे, सिर पर टोपी पहने, कांधे पर कांवड़ लिए और बम-बम भोले, हर-हर महादेव के जयकारे लगाते शिवभक्तों का उत्साह चरम पर है। महादेवा में चारों ओर मस्ती, भक्ति और श्रद्धा की त्रिवेणी बह रही है। मेला परिसर में श्रृद्धालुओं के लिये दुकानें भी सजी हैं।

महादेव के जयकारे लगा रहे भक्त

मध्य रात्रि के बाद कपाट खुलने के बाद से ही शिव भक्त देवाधिदेव महादेव का जलाभिषेक कर रहे हैं। बड़ी तादात में साइकिल, बाइक, ट्रैक्टर और दूसरे वाहनों से शिव भक्त और कांवड़िये जयकारा लगाते भक्ति गीत गाते महादेवा पहुंचे हैं। कई शिवभक्तों ने दंडवत परिक्रमा भी की।

सुरक्षा को लेकर किए गए हैं इंतजाम

महादेवा मेला क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों और पुलिस गश्त के जरिए सुरक्षा-व्यवस्था के भी पुख्ता इंतजाम किये गये हैं। मेले में डॉग स्क्वॉयड और बम निरोधक दस्ता भी संदिग्ध वस्तुओं की जांच कर रहा है। एसडीएम तान्या सिंह और सीओ बीनू सिंह समेत आलाधिकारी मेला क्षेत्र में ही कैंप कर रहे हैं। इसमें 5 सीओ, 11 इंस्पेक्टर, 40 सब इंस्पेक्टर समेत करीब 510 पुलिस कर्मी लगाए गए हैं। सादी वर्दी में पुलिस व महिला पुलिस जवानों के अलावा 50 से अधिक चौकीदार भी ड्यूटी कर रहे हैं।

समस्या दूर करने की भी है मान्यता

महादेवा पहुंचे कांवड़ियों का कहना है कि यहां पर भोलेनाथ के दर्शन करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। प्रदेश के कई जिलों समेत दूसरे राज्यों से आये कई भक्तों ने बताया कि उनकी रोजी-रोटी और पारिवारिक विवादों से संबंधित कई समस्याएं यहां आने से ही दूर हो गईं।


कहा कि लोधेश्वर महादेव की चौखट से कोई खाली हाथ नहीं जाता है। वहीं लोधेश्वर महादेव के पुजारी आदित्य माहाराज ने बताया कि लोधेश्वर महादेवा में जो भी शिवभक्त जलाभिषेक करता है, उसकी मनोकामना पूर्ण होती है। यहां हर साल सावन और शिवरात्रि पर लाखों शिव भक्त दूर-दूर से पहुंचते हैं। इस बार भी शिवभक्तों की भक्ति का अनोखा नजारा यहां देखने को मिल रहा है।

सालों पहले इस मंदिर की हुई थी स्थापना

1 एकड़ में फैले इस मंदिर की कहानी एक किसान के सपने से जुड़ी है। मान्यता है, एक किसान लोधेराम ने अपने सपने में देखा, उनके खेत के अंदर शिवलिंग दबा हुआ है। इसके बाद किसान ने खेत की खुदाई करवाई। शिवलिंग के निकलने पर उसी जगह पर मंदिर की स्थापना कर दी। महादेवा मंदिर का इतिहास 200 साल पुराना है। यहां तभी से कांवड़ लाई जा रही है और जलाभिषेक हो रहा है। तब जल मिट्‌टी के बर्तन में लाया जाता था।


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