Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

ads header

पीडब्ल्यूडी के पदावनत अवर अभियंताओं के खिलाफ पैरवी न करने वाले अफसरों पर कार्रवाई की संस्तुति

नौ वर्ष पहले 2013 में सपा सरकार के दौरान समूह ग संवर्ग के 122 लिपिकों को पदोन्नति देकर जेई बनाया गया था। पदोन्नति नियमावली के तहत जेई के 95 फीसदी पदों को आयोग के माध्यम से सीधी भर्ती के जरिए भरा जाना था, बाकी पांच प्रतिशत पदों पर विभागीय प्रोन्नति दी जानी थी।
पीडब्ल्यूडी में अमान्य दस्तावेजों के आधार पर 106 लिपिकों की अवर अभियंताओं (जेई) के रूप में हुई पदोन्नति के खेल में इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुंह की खाने के बाद शासन ने पैरवी न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की है।

 अदालती आदेश के बाद पदावनत किए गए तीन लिपिकों को बतौर जेई ज्वाइन कराने के आदेश मुख्य अभियंता ने बृहस्पतिवार को ही जारी किए हैं। इसे शासन ने अतिगंभीर माना है।नौ वर्ष पहले 2013 में सपा सरकार के दौरान समूह ग संवर्ग के 122 लिपिकों को पदोन्नति देकर जेई बनाया गया था। पदोन्नति नियमावली के तहत जेई के 95 फीसदी पदों को आयोग के माध्यम से सीधी भर्ती के जरिए भरा जाना था, बाकी पांच प्रतिशत पदों पर विभागीय प्रोन्नति दी जानी थी। लेकिन, तमाम लोग फर्जी डिप्लोमा के आधार पर इस वैतरिणी को पार कर गए।
प्रकरण की शिकायत के बाद जांच बैठी और शैक्षिक दस्तावेजों पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की राय मांगी गई तो पता लगा कि दूरस्थ शिक्षा केंद्रों के माध्यम से ली गई इंजीनियरिंग की डिग्री या डिप्लोमा मान्य ही नहीं है। इसके बाद ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) और डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो (डीईबी) ने भी दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से लिए गए डिप्लोमा अमान्य करार दे दिए। कार्रवाई फिर भी नहीं की गई। योगी सरकार की दूसरी पारी में इस मामले की फाइल तलब किए जाने से जिम्मेदार अफसरों के होश उड़े। सरकार की सख्ती के बाद शासन ने बीती 29 अप्रैल को इन्हें पदावनत कर दिया। इसके विरुद्ध 44 याचिकाएं इलाहाबाद हाईकोर्ट में योजित की गईं। हालांकि, सूबे के प्रमुख अभियंता व विभागाध्यक्ष सत्यप्रकाश के निर्देश के बाद भी कोर्ट में ठीक से पैरवी नहीं की गई।नतीजतन, कई मामलों में पदावनति आदेश पर रोक लगा दी गई। इसे शासन के उप सचिव राजेंद्र प्रसाद ने गंभीर लापरवाही मानते हुए स्टे खारिज कराने और शपथ पत्र दाखिल न करने वाले अधिशासी अभियंताओं के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने का आदेश जारी किया है। उन्होंने मौजूदा स्थिति को गंभीर लापरवाही का द्योतक बताया है।इसके पहले, अनु सचिव शिव कुमार ने भी प्रमुख अभियंता को भेजे पत्र में कहा है कि बार-बार दिए गए निर्देशों के बावजूद मुख्यालय स्तर पर कोई कार्रवाई न किया जाना अत्यंत खेदजनक है। इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध आरोप पत्र शासन को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के क्रम में तीन पदावनत कर्मियों को अवर अभियंता के पद पर योगदान आख्या देने का आज आदेश जारी किया गया है। वे जब चाहें, ज्वाइन कर सकते हैं। - केके श्रीवास्तव, अधिशासी अभियंता निर्माण खंड-1, प्रयागराज।


Y

Post a Comment

0 Comments