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मां दुर्गा का पांचवां स्‍वरूप हैं : माँ स्कन्दमाता

नई दिल्ली - नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. चार भुजाओं वाली मां दुर्गा के रूप के गोद में विराजमान होते हैं कुमार कार्तिकेय. इन्हें मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता भी कहा जाता है. मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने वाले माता के भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं. 

कौन हैं मां स्कंदमाता?
चार भुजाओं वाली मां स्कंदमाता के दो हाथों में कमल और एक हाथ में कुमार कार्तिकेय बैठे रहते हैं. कुमार कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति कहा जाता है. देवताओं के इसी सेनापति का एक नाम स्कंद भी है. इन्हीं स्कंद की माता हैं स्कंदमाता.

मां स्कंदमाता का रूप 
शेर पर सवार, चार भुजाएं और गोद में कुमार कार्तिकेय, ये है स्कंदमाता का रूप. यह कमल पर भी विराजमान रहती हैं इसीलिए इन्हें पद्मासना के नाम से भी जाना जाता है.  

कैसे करें स्कंदमाता की पूजा
मां स्कंदमाता का पूजन सफेद रंग के वस्त्र पहन कर करें और उन्हें मूंग के दाल के हलवे का भोग लगाए और प्रसाद में बांटे. मान्यता है कि स्कंदमाता रोगों से मुक्ति दिलाती हैं और घर में सुख शांति लाती हैं. 

स्कन्दमाता की मंत्र :
सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया | शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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तिथि: चैत्र /अश्विन शुक्ल पञ्चमी
अन्य नाम: देवी पद्मासना
सवारी: उग्र शेर
अत्र-शस्त्र: चार हाथ - माँ अपने ऊपरी दो हाथों में कमल के फूल रखती हैं है। वह अपने एक दाहिने हाथ में बाल मुरुगन को और अभय मुद्रा में है। भगवान मुरुगन को कार्तिकेय और भगवान गणेश के भाई के रूप में भी जाना जाता है।
मुद्रा: मातृत्व रूप
ग्रह: बुद्ध
शुभ रंग: गहरा नीला

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