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रूस के कोरोना वैक्सीन बनाने के दावे पर WHO के बाद अब ये बोला अमेरिका

INA NEWS DESK

दुनिया भर में कोरोना वायरस की वैक्सीन के ट्रायल जारी हैं, वहीं रूस ने हाल ही में ये ऐलान किया था कि उसने कोरोना वायरस की वैक्सीन बना ली है और वो अक्टूबर तक इस वैक्सीन का उत्पादन शुरू कर देगा.  WHO पहले ही  रूस के वैक्सीन बनाने के इस दावे पर संदेह जता चुका है. अब अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने भी रूस के इस दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं. अमेरिका के संक्रामक रोग विशेषज्ञ एंथोनी फाउची ने चीन और रूस की वैक्सीन पर शंका जाहिर की है.

एंथोनी फाउची ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि दूसरों के लिए वैक्सीन का प्रबंध कराने से पहले चीन और रूस अपने वैक्सीन का सही तरीके से टेस्ट कर रहे होंगे.' फाउची ने ये भी कहा है कि वह अपने देश में भी किसी राजनीतिक दबाव में वैक्सीन बनाने में जल्दबाजी नहीं करेंगे. 'द टेलीग्राफ' अखबार के मुताबिक, ब्रिटेन ने भी अपने लोगों पर रूस की वैक्सीन लगाने से मना कर दिया है. ब्रिटेन इससे पहले कई देशों की संभावित वैक्सीन की करोड़ों डोज अपने लिए सुरक्षित कर चुका है.


रूस ने ऐलान किया था कि गेमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा बनाई गई इस वैक्सीन को अगस्त के दूसरे हफ्ते तक मंजूरी मिल जाएगी. अगले महीने तक इसे बाजार में उपलब्ध करा दिया जाएगा और अक्टूबर में देशभर में वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू हो जाएगा.

रूस की  वैक्सीन पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?

दुनिया के कई देशों ने रूस के वैक्सीन बनाने की हड़बड़ाहट पर सवाल खड़े किए हैं. विशेषज्ञों ने आशंका जाहिर की है कि इस वैक्सीन का उत्पादन बहुत जल्दबाजी में किया जा रहा है. खबरों के अनुसार, रूस के वैक्सीन कैंडिडेट ने अपने पहले चरण का ह्यूमन ट्रायल जुलाई के दूसरे हफ्ते में किया था. उस समय रूस की न्यूज एजेंसी TASS ने कहा था कि वैक्सीन के दूसरे चरण का ट्रायल 13 जुलाई को किया जाएगा. लेकिन दूसरे चरण का ट्रायल पूरा कर लेने की कोई घोषणा नहीं की गई.आमतौर पर, वैक्सीन के हर चरण को पूरा होने में कई महीने लगते हैं. लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए, दुनिया भर में वैक्सीन ट्रायल का काम तेजी से किया जा रहा है. रूस ने खुद कहा है कि वो उत्पादन के साथ-साथ वैक्सीन के तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल जारी रखेगा.


रूस ने संकेत दिया है कि वो तीसरे चरण के ह्यूमन ट्रायल के बिना ही इस वैक्सीन को मंजूरी देने की योजना बना रहा है. तीसरे चरण के ट्रायल को ही फाइनल माना जाता है जिसमें इस बात का पता चलता है कि कोई वैक्सीन इंसानों पर कितनी कारगर है. वहीं चीन की वैक्सीन को भी बिना किसी तीसरे ट्रायल के सीमित इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है.विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रूस से वैक्सीन उत्पादन के लिए बनाई गई गाइडलाइन का पालन करने के लिए कहा है.  विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता क्रिस्टियन लिंडमियर ने AFP न्यूज एजेंसी को बताया, 'किसी भी वैक्सीन या दवा के लिए कुछ नियम और गाइडलाइन्स बनाई गई हैं. लाइसेंस लेने से पहले हर वैक्सीन को सभी ट्रायल और टेस्ट से गुजरना होगा.'

क्रिस्टियन लिंडमियर ने कहा, 'कई बार ऐसा होता है कि कुछ शोधकर्ता दावा करते हैं कि उन्होंने कोई महत्वपूर्ण खोज कर ली है जोकि अच्छी खबर होती है. लेकिन कोई खोज करने या वैक्सीन के असरदार होने के संकेत मिलने और क्लिनिकल ट्रायल के सभी चरणों से गुजरने में जमीन-आसमान का फर्क होता है विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी वेबसाइट पर क्लिनिकल ट्रायल से गुजर रहीं 25 वैक्सीन को सूचीबद्ध किया है जबकि 139 वैक्सीन अभी प्री-क्लिनिकलस्टेज में हैं. तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में कुछ वैक्सीन ही हैं जिनमें रूस की वैक्सीन शामिल नहीं है. अभी तक ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड, अमेरिका की मॉडर्ना और चीन की सिनोवैक वैक्सीन तीसरे चरण के ट्रायल के दौर में है.


रूस के वैक्सीन ट्रायल पर क्रिस्टियन लिंडमियर ने कहा, 'हमें अभी तक ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है. अगर आधिकारिक तौर पर कुछ होता तो यूरोप के हमारे ऑफिस के सहयोगी जरूर इस मामले पर ध्यान देते. एक सुरक्षित वैक्सीन बनाने को लेकर कई नियम बनाए गए हैं और इसे लेकर एक गाइडलाइन भी है. इन नियमों और गाइडलाइन का पालन किया जाना जरूरी है ताकि हम जान सकें कि कोई वैक्सीन या इलाज कितना असरदार है और किस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में मदद कर सकती है.'















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