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विमान हादसा: सेफ नहीं था कोझिकोड एयरपोर्ट का रनवे, डीजीसीए ने भी दी थी चेतावनी

 केरल - नागर विमानन महानिदेशालय ने हाल फिलहाल में भी सवाल उठाए थे कि रनवे पर ऐसी स्थिति है कि कहीं पानी भर सकता है तो कहीं रबर जमा हो सकती है, जो हादसे की वजह बन सकती है.

कोझिकोड एयरपोर्ट के रनवे को लेकर दी गई थी चेतावनीऑपरेशन के लिहाज से कोझिकोड का एयरपोर्ट खतरनाक

केरल में कोझिकोड एयरपोर्ट पर एयर इंडिया एक्सप्रेस का एक विमान शुक्रवार शाम हादसे का शिकार हो गया जिसमें दो पायलट समेत 18 लोगों की मौत हो गई. केरल में शुक्रवार को तेज बारिश हो रही थी. वंदे भारत मिशन के तहत दुबई से कोझिकोड आ रहा विमान रनवे पर फिसल गया.विमानन क्षेत्र के नियामक नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने पहले ही कोझिकोड एयरपोर्ट के रनवे को लेकर चेतावनी दी थी कि वहां कभी भी हादसा हो सकता है. डीजीसीए ने हाल फिलहाल में भी सवाल उठाए थे कि रनवे पर ऐसी स्थिति है कि कहीं पानी भर सकता है तो कहीं रबर जमा हो सकती है, जो हादसे की वजह बन सकती है.

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने 2019 में एयरपोर्ट अथॉरिटी को कालीकट एयरपोर्ट को लेकर नोटिस दिया था. वहीं एयरपोर्ट अथॉरिटी के सूत्रों ने बताया कि DGCA की तरफ से सभी सवालों पर ध्यान दिया जा रहा है और हम सभी मसलों को हल करेंगे ये विमान ने आग पकड़ ली होती तो और भयावह होती कोझिकोड की त्रासदी

बता दें कि ऑपरेशन के लिहाज से कोझिकोड का एयरपोर्ट खतरनाक माना जाता है. ये एक टेबल टॉप रन वे है. इसका मतलब ये है कि रनवे थोड़ी ऊंचाई पर है और दोनों तरफ की जमीन गहरी है. रनवे जरूरत के लिहाज से छोटा भी है और खत्म होते ही करीब 30 फुट गहरी घाटी भी है. इसके अलावा रनवे के दोनों ओर की पट्टियां भी संकरी हैं, जिसके चलते रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने की स्थिति में मुश्किल आती है. इन सारी कमियों के बावजूद अभी तक एयरपोर्ट पर हमेशा की तरह उड़ानें जारी थीं.

कोझिकोड एयरपोर्ट की तरह देश के कुछ और हवाई अड्डों का भी ऐसा खतरनाक डिजाइन है, जिसे टेबलटॉप रनवे कहा जाता है. इनमें मेंगलुरु का एयरपोर्ट और मिजोरम का लेंगपुई एयरपोर्ट शामिल हैं. मेंगलुरु एयरपोर्ट पर भी साल 2010 में इसी तरह का भीषण हादसा हो चुका है, जिसमें 158 लोगों की मौत हो गई थी. उस घटना के बाद भी एक्सपर्ट्स ने सलाह दी थी कि सभी टेबलटॉप रनवे पर लैंडिंग के लिए खास प्रशिक्षण की जरूरत है. शुक्रवार रात कोझिकोड पर उतरने वाली फ्लाइट के दोनों पायलट अनुभवी थे, लेकिन फिर भी ये अनहोनी हो गई

एविएशन एक्सपर्ट प्रफुल्ल बख्शी ने 'आजतक' से बातचीत में बताया, मेंगलुरु विमान क्रैश के दौरान वो वहां गए थे. उन्होंने कहा कि टेबलटॉप रनवे में दोनों तरफ खाई होती है जो पहाड़ी इलाकों में स्थित होते हैं. अगर ग्राउंड पूरा न हो तो एयरक्राफ्ट के खाई में गिरने की आशंका रहती है

प्रफुल्ल बख्शी ने बताया कि उस समय कहा गया था कि खराब मौसम के समय विमान को लैंडिंग के बजाय डायवर्ट कर देना चाहिए. एयरफोर्स में एक अथॉरिटी है जो ये बताती है. लेकिन सवाल है कि सिविल में ये अथॉरिटी है या नहीं. पायलट ने एक बार कोशिश की. खराब मौसम के कारण उसने अपना रनवे चेंज किया. फिलहाल ब्लैक बॉक्स आदि की जांच के बाद पता चलेगा कि चूक कहां हुई. लेकिन अभी लग रहा है कि विमान ने लैंड किया और रनवे पर रुक नहीं पाया और ये हादसा हो गया. पायलट ने पूरी कोशिश की होगी

अब मामले की जांच एयर इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो करेगा. वहीं विंग कमांड रोहित बेरी ने बताया कि हादसे की कोई एक वजह नहीं होती है. कई वजहें होती हैं. कोझिकोड का रनवे छोटा है. बाकी इंटरनेशनल एयरपोर्ट की रनवे की लंबाई 4 हजार मीटर होती है. दिल्ली और बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट की लंबाई 4 हजार मीटर के करीब है.

INA NEWS DESK




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