उदय सिंह यादव :-
हमारे सभ्य समाज के लिए इससे ज्यादा और शर्मिन्दगी क्या होगी कभी राम के नाम पर कभी अल्लाह के नाम पर अब कत्ल होने लगे हैं
अब ये मोबलिंचिंग क्या है, दरसल सरेआम राम के नाम पर गुंडई करने वालों को अदालत से बा इज्जत बचाया जा सके, क्योकि ये ही लोग चुनाव में वोट जुटाते हैं, धर्म,आतंक, के नाम पर
झारखण्ड के सरायकेला जिले में भीड़ के हाथों पीट पीट कर मार दिए गए सोनू उर्फ़ तब्जेज अंसारी कि ह्त्या के मामले में भले ही पुलिस ने ग्यारह लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, यह सच सही कि दो पुलिसिये सस्पेंड भी हुए है लेकिन जान लें जहरीली विचारधारा से पोषित पुलिस का खेल चल रहा है,
इलाके के एस डी ओ पुलिस ने राज्य शासन को रिपोर्ट में किसी तरह की लिंचिंग या सांप्रदायिक ह्त्या से इनकार किया है,
अरे पुलिसिया गुंडे, तबरेज अंसारी हत्याकांड लीनचिंग नहीं बल्कि कस्टोडिएल डेथ का मामला है। पुलिस पर धारा 302 लगनी चाहिए, ससपेंड कर के किसे चूतिया बना रहे हो।
पुलिस का कहना है कि 17 की रात को तीन लोगों को मोटर साईकिल चोरी के आरोप में जनता ने पकड़ा था , पुलिस ने इनसे एक चाकू, एक मोबाईल और एक मोटर साईकिल जब्त भी की है. एक बात और इस मामले में रिपोर्ट लिखवाने वाली शाहिस्ता है, मृतक सोनू की पत्नी, जो कि घटना स्थल पर थी नहीं,
इस मामले में कोई भी चश्मदीद गवाह बनने को तैयार नहीं, सारा केस वीडियो पर ही टिका होगा. शाहिस्ता के पास 17 जून की सुबह तबरेज का फोन आया था कि ये लोग पूरी रात मारते रहे, मुझे बचा लो
सोनू उर्फ़ तबरेज अंसारी सरायकेला जिले के कदम्दीह गाँव का निवासी था, यह गाँव मुस्लिम बाहुल्य है और यहाँ कभी सांप्रदायिक टकराव हुआ नहीं , सोनू उर्फ़ तबरेज के माता पिता बचपान में ही अल्लाह को प्यारे हो गए थे और वह बीते सात साल से पुणे (महाराष्ट्र ) में वेल्डिंग का कर रहा था, गाँव कम ही आता था और इस बार ईद पर आया था, अभी 24 अप्रेल को निकाह हुआ था और इस बार अपनी पत्नी शाहिस्ता को ले कर पुणे जाने वाला था .
सरायकेला जिले में सोनू के गाँव से कोई चार किलोमीटर दूर धतकीडीह गाँव में यह घटना हुयी है, अभी तक मिली जानकारी के अनुसार मोटर साईकिल तो सोनू की ही है तो आखिर चोरी क्या हुआ था ?
इस स्थान के करीब ही केन्द्रीय मन्त्री अर्जुन मुंडा का गाँव खेजुरदा है, यहाँ उत्पाती लोग लम्बे समय से सक्रीय हैं, अभी तक मिली जानकारी के अनुसार सोनू उर्फ़ तबरेज को 17 जून की रात में पप्पू मंडल और उसके साथियों ने पकड़ा. पूरी रात पेड़ से बाँध कर मारते रहे , अगले दिन पुलिस को बुलाया और अधमरे तबरेज को इलाज कराने के बजाय हवालात में डाल दिया गया .
इस बीच सोनू के परिचित थाने पहुंचे और हंगामा होने लगा. घबरायी पुलिस ने उसे तत्काल जेल भेज दिया और वहां उसकी हालत और बिगड़ गई. उसके बाद तबरेज को सदर अस्पताल ले जाया गया. फिर वहां से भी उसे टाटा मेन अस्पताल ले जाया गया जहां शनिवार को उसने दम तोड़ दिया.
डॉक्टरों का कहना है कि शम्स तबरेज को जब लाया गया तो वह कोमा में था. जहां २२ जून को उसका इंतकाल हो गया,
पुलिस बताने का प्रयास कर रही है कि उसके पास तबरेज सुरक्षित था, जेल रिकार्ड में भी उसकी तबियात सामान्य दिखाई गयी होगी क्योंकि जेल किसी अधमरे या घायल को बगैर मेडिकल के लेती नहीं, जाहिर है कि सारा मामला जेल में संदिग्ध मौत का बनाया जायेगा जिससे सियाशी ताकत से सरेआम राम के नाम पर गुंडई करने वालों को अदालत से बा इज्जत बचाया जा सके,
क्योकि ये ही बो सज्जन ओर सफेद पोस है जो लोग चुनाव में वोट जुटाते हैं - धर्म, आतंक, के नाम पर नेताजी को जैसे चाहे वैसे चुनाव जितवा सकते हैं
सोचिए कितना ह्रदयविदारक होगा उस नवविवाहिता के लिए जिसका शौहर बेगुनाह होने पर भी मारा गया, उन दोस्तो के लिए कितना भयावह होगा जो उनको वास्तविक जानते होंगे कि यह ऐसा नही था, ओर जरा समझो उन लोगों के बारे में जिनके धर्म का भले ही न हो लेकिन घर ओर दुकान की जिम्मेदारी इसके ही भरोसे थी
इस मामले में प्रदर्शन से ज्यादा जरुरी सारे रिकार्ड को जब्त करवाना, इसकी जुडिशरी जांच लिए कार्यवाही करना है, क्योकि ऐसा दुरसाहस करने बाले धर्म और मजहब को लड़वाने बाले ये लफंगे जब जेल से छूट कर आते हैं तो दुगने वेग से अपनी हरकतें करते हैं, ये समाज के दीमक हैं और इनका दमन जरुरी है, ये बात प्रशासन और समाज एवम सरकार को भी सोचनी चाहिए ||
उदय सिंह यादव
प्रधान संपादक : INA न्यूज़
हमारे सभ्य समाज के लिए इससे ज्यादा और शर्मिन्दगी क्या होगी कभी राम के नाम पर कभी अल्लाह के नाम पर अब कत्ल होने लगे हैं
अब ये मोबलिंचिंग क्या है, दरसल सरेआम राम के नाम पर गुंडई करने वालों को अदालत से बा इज्जत बचाया जा सके, क्योकि ये ही लोग चुनाव में वोट जुटाते हैं, धर्म,आतंक, के नाम पर
झारखण्ड के सरायकेला जिले में भीड़ के हाथों पीट पीट कर मार दिए गए सोनू उर्फ़ तब्जेज अंसारी कि ह्त्या के मामले में भले ही पुलिस ने ग्यारह लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, यह सच सही कि दो पुलिसिये सस्पेंड भी हुए है लेकिन जान लें जहरीली विचारधारा से पोषित पुलिस का खेल चल रहा है,
इलाके के एस डी ओ पुलिस ने राज्य शासन को रिपोर्ट में किसी तरह की लिंचिंग या सांप्रदायिक ह्त्या से इनकार किया है,
अरे पुलिसिया गुंडे, तबरेज अंसारी हत्याकांड लीनचिंग नहीं बल्कि कस्टोडिएल डेथ का मामला है। पुलिस पर धारा 302 लगनी चाहिए, ससपेंड कर के किसे चूतिया बना रहे हो।
पुलिस का कहना है कि 17 की रात को तीन लोगों को मोटर साईकिल चोरी के आरोप में जनता ने पकड़ा था , पुलिस ने इनसे एक चाकू, एक मोबाईल और एक मोटर साईकिल जब्त भी की है. एक बात और इस मामले में रिपोर्ट लिखवाने वाली शाहिस्ता है, मृतक सोनू की पत्नी, जो कि घटना स्थल पर थी नहीं,
इस मामले में कोई भी चश्मदीद गवाह बनने को तैयार नहीं, सारा केस वीडियो पर ही टिका होगा. शाहिस्ता के पास 17 जून की सुबह तबरेज का फोन आया था कि ये लोग पूरी रात मारते रहे, मुझे बचा लो
सोनू उर्फ़ तबरेज अंसारी सरायकेला जिले के कदम्दीह गाँव का निवासी था, यह गाँव मुस्लिम बाहुल्य है और यहाँ कभी सांप्रदायिक टकराव हुआ नहीं , सोनू उर्फ़ तबरेज के माता पिता बचपान में ही अल्लाह को प्यारे हो गए थे और वह बीते सात साल से पुणे (महाराष्ट्र ) में वेल्डिंग का कर रहा था, गाँव कम ही आता था और इस बार ईद पर आया था, अभी 24 अप्रेल को निकाह हुआ था और इस बार अपनी पत्नी शाहिस्ता को ले कर पुणे जाने वाला था .
सरायकेला जिले में सोनू के गाँव से कोई चार किलोमीटर दूर धतकीडीह गाँव में यह घटना हुयी है, अभी तक मिली जानकारी के अनुसार मोटर साईकिल तो सोनू की ही है तो आखिर चोरी क्या हुआ था ?
इस स्थान के करीब ही केन्द्रीय मन्त्री अर्जुन मुंडा का गाँव खेजुरदा है, यहाँ उत्पाती लोग लम्बे समय से सक्रीय हैं, अभी तक मिली जानकारी के अनुसार सोनू उर्फ़ तबरेज को 17 जून की रात में पप्पू मंडल और उसके साथियों ने पकड़ा. पूरी रात पेड़ से बाँध कर मारते रहे , अगले दिन पुलिस को बुलाया और अधमरे तबरेज को इलाज कराने के बजाय हवालात में डाल दिया गया .
इस बीच सोनू के परिचित थाने पहुंचे और हंगामा होने लगा. घबरायी पुलिस ने उसे तत्काल जेल भेज दिया और वहां उसकी हालत और बिगड़ गई. उसके बाद तबरेज को सदर अस्पताल ले जाया गया. फिर वहां से भी उसे टाटा मेन अस्पताल ले जाया गया जहां शनिवार को उसने दम तोड़ दिया.
डॉक्टरों का कहना है कि शम्स तबरेज को जब लाया गया तो वह कोमा में था. जहां २२ जून को उसका इंतकाल हो गया,
पुलिस बताने का प्रयास कर रही है कि उसके पास तबरेज सुरक्षित था, जेल रिकार्ड में भी उसकी तबियात सामान्य दिखाई गयी होगी क्योंकि जेल किसी अधमरे या घायल को बगैर मेडिकल के लेती नहीं, जाहिर है कि सारा मामला जेल में संदिग्ध मौत का बनाया जायेगा जिससे सियाशी ताकत से सरेआम राम के नाम पर गुंडई करने वालों को अदालत से बा इज्जत बचाया जा सके,
क्योकि ये ही बो सज्जन ओर सफेद पोस है जो लोग चुनाव में वोट जुटाते हैं - धर्म, आतंक, के नाम पर नेताजी को जैसे चाहे वैसे चुनाव जितवा सकते हैं
सोचिए कितना ह्रदयविदारक होगा उस नवविवाहिता के लिए जिसका शौहर बेगुनाह होने पर भी मारा गया, उन दोस्तो के लिए कितना भयावह होगा जो उनको वास्तविक जानते होंगे कि यह ऐसा नही था, ओर जरा समझो उन लोगों के बारे में जिनके धर्म का भले ही न हो लेकिन घर ओर दुकान की जिम्मेदारी इसके ही भरोसे थी
इस मामले में प्रदर्शन से ज्यादा जरुरी सारे रिकार्ड को जब्त करवाना, इसकी जुडिशरी जांच लिए कार्यवाही करना है, क्योकि ऐसा दुरसाहस करने बाले धर्म और मजहब को लड़वाने बाले ये लफंगे जब जेल से छूट कर आते हैं तो दुगने वेग से अपनी हरकतें करते हैं, ये समाज के दीमक हैं और इनका दमन जरुरी है, ये बात प्रशासन और समाज एवम सरकार को भी सोचनी चाहिए ||
उदय सिंह यादव
प्रधान संपादक : INA न्यूज़
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