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रूस की स्पेस एजेंसी जल्द ही लॉन्च करेगी मिशन

मॉस्को - रूस की स्पेस एजेंसी रॉस्कोमॉस के प्रमुख दिमित्री रोगोजिन का कहना है कि वे चांद के लिए जल्द ही एक मिशन लॉन्च करेंगे। इसकी मदद से यह पता लगाया जाएगा कि चंद्रमा पर कदम रखने के अमेरिकन मिशन सही थे या नहीं।

रोगोजिन ने इस संबंध में शनिवार को ट्वीट भी किया। उन्होंने लिखा, ‘‘हमने उड़ान के लिए लक्ष्य तय कर दिया है। इस मिशन की मदद से पुष्टि की जाएगी कि अमेरिका चांद पर पहुंचा था या नहीं।’’

रोगोजिन ने यह बात एक सवाल के जवाब में कही। सवाल में पूछा गया था कि 50 साल पहले क्या नासा हकीकत में चांद पर सतह तक पहुंचा था। सवाल का जवाब देते वक्त रोगोजिन मुस्करा रहे थे। ऐसे में उनकी बात को मजाक समझा गया, लेकिन नासा के चंद्र मिशन को लेकर रूस कई बार टिप्पणी कर चुका है।

1970 के दौर में सोवियत संघ ने चार बार रॉकेट चांद पर भेजे, लेकिन सफल नहीं हुआ। इसके बाद सोवियत संघ ने अपना चंद्र मिशन रोक दिया था। 2015 के दौरान भी रूसी जांच समिति के पूर्व प्रवक्ता ने नासा के चंद्र मिशन की जांच कराने की बात कही थी।

रोगोजिन लगभग 50 साल पहले चंद्रमा पर नासा के छोड़े निशान तलाशने जा रहे हैं। रूस ने नासा के इस मिशन को कभी सच नहीं माना क्योंकि उनका सोचना था कि नासा चंद्रमा मिशन के नाम पर दुनिया की आंखों में धूल झोंक रहा है। उधर सोवियत संघ ने चार प्रयोगात्मक चंद्रमा रॉकेट ऑपरेशन विफल रहने के बाद 1970 के दशक के मध्य में अपने चंद्रयान कार्यक्रम को ही त्याग दिया था। 2015 में, रूसी जांच समिति के एक पूर्व प्रवक्ता ने 'नासा मून लैंडिंग ऑपरेशन' की जांच की मांग की थी।

कहा जाता रहा है कि अमेरिका ने एक फिल्मी सेट के ऊपर अपने तीन अंतरिक्ष यात्रियों को चांद जैसी लोकेशन पर फिल्माया था। विरोधियों का पहला आरोप है कि चांद पर जब हवा नहीं है तो फिर चित्रों में अमेरिकी झंडा लहराता हुआ कैसे दिख रहा है।

फिर उनका कहना है कि चांद पर वैज्ञानिक उपकरणों की जो रीडिंग आनी चाहिए वो न होकर कुछ और आ रही है। चांद के ऊपर के आसमान में तारे बहुत कम नजर आ रहे हैं जबकि चांद से कहीं ज्यादा तारे नजर आने चाहिए। यह भी कहा जा रहा है कि चांद पर छायाएं जिस दिशा में होनी चाहिए उससे उल्टी दिशा में दिख रही हैं।

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