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इस्लाम में नया साल मनाना नाजायज, उलेमा

DESK - एक ओर जहां पूरी दुनिया नए साल के जश्न में डूबी है, वहीं मदरसा जामिया हुसैनिया के वरिष्ठ उस्ताद मौलाना मुफ्ती तारिक कासमी के मुताबिक इस्लाम में नया साल मनाना जायज नहीं है. उनके मुताबिक एक जनवरी को नया साल मनाना और एक दूसरे को इसकी मुबारकबाद देना गलत है.

मौलाना मुफ्ती तारिक कासमी ने कहा कि नया साल मनाना यह कोई इस्लामी हुक्म नहीं है और न मुसलमानों को इससे जुड़ना चाहिए. उन्होंने कहा, 'सालों का बदलना सालों का आना महीनों का गुजरना यह सब हिसाब और किताब के लिहाज से होता है। इससे ज्यादा इसकी कोई हैसियत नहीं है' इस्लाम हर उस चीज से मना करता है जिसमें बेशर्मी हो. इसलिए ऐसी चीजों का ताल्लुक मजहब-ए-इस्लाम से नहीं है'

श्री त्रिपुर मां बाला सुंदरी देवी मंदिर सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष पंडित सतेंद्र शर्मा ने भी नए साल का विरोध किया. उनके मुताबिक हिंदू धर्म के आधार पर ये नया साल नहीं है. शास्त्रों के अनुसार नया साल सनातन धर्म के अनुसार चैत्र माह में आता है पहले नवरात्र में हमारा नया साल शुरू होता है उसे ही मनाना चाहिए. उन्होंने सभी युवाओं से अपील करते हुए कहा कि एक जनवरी अंग्रेजों की देन है हमारा नया साल चैत्र माह में मनाया जाता है.

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